Last Updated:April 10, 2025, 16:13 ISTकाशी हिंदू विश्वविद्यालय वैदिक गणित और आधुनिक सॉफ्टवेयर का उपयोग कर एक देश एक पंचांग तैयार कर रहा है. पंचांग की समस्या 17वीं शताब्दी से शुरू हुई थी, जिसे अब हल किया जा रहा है. आदि गुरु शंकराचार्य ने भी सूर्य सि…और पढ़ेंबनारस हिंदू यूनिवर्सिटी साफ्टवेयर बना रहा है. हाइलाइट्सBHU एक देश एक पंचांग तैयार कर रहा है.पंचांग की समस्या 17वीं शताब्दी से शुरू हुई थी.अब हल निकाला गया, नया साफ्टवेयर बन रहा.वाराणसी. चौथी शताब्दी के गणित से पंचांग की समस्या का समाधान निकला जा रहा है , आदि गुरु शंकराचार्य और सूर्य सिद्धांत से एक देश एक पंचांग काशी हिंदू विश्वविद्यालय तैयार कर रहा है , बड़ी बात ये है कि बाकायदा इसका सॉफ्टवेयर बनाया जाएगा जिसमें पंचांग की सारे दोष को दूर कर दिया जाएगा , दरअसल पंचांग की यह समस्या 17 वी शताब्दी से शुरू हुई , जिसके कारण पूरे देश में तीज-त्योहारों के दो तिथि सामने आने लगे, अब इसका समाधान मिल चुका है और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग पंचांग बनाने की प्रक्रिया में जुट गया है.
BHU के ज्योतिष विभाग पंचांग की एकरूपता को तैयार करने में जुट गया है. इस नए पंचांग को वैदिक गणित के साथ आधुनिक सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार किया जाएगा. दो विधा से पंचांग मुख्यतया तैयार हो रहे हैं. एक सबीज दूसरा निर्बीज. निर्बीज पारंपरिक सिद्धांत है, जिसमें आचार्य आर्यभट्ट, भास्कर, सूर्य सिद्धांत, ब्रह्म सिद्धांत के आधार पर पंचाग तैयार हो रहे हैं, जो गुरु, वैदिक परंपरा से चली आ रही है. दरअसल 17वीं शताब्दी के बाद पोजीशनल एस्ट्रोनॉमिक यानी सबीज के जरिए पंचांग तैयार किए जा रहे हैं, जिस वजह से वैदिक और पोजीशनल एस्ट्रोनॉमी में बड़ा अंतर दिख रहा है. सबीज में नासा के जरिए ग्रहों की स्थिति का डाटा लेकर पंचांग तैयार किया जा रहा है. दोनों की पद्धतियां अलग है, इसलिए तिथियों में यह बड़ा अंतर हो रहा है.
विद्वान निर्बीज यानी वैदिक परंपरा को ही उचित मानते हैं, जिसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने निर्बीज परंपरा से पंचांग बनाने की ओर अपना कदम बढ़ाया है. इसी के तहत सबसे पहले बीएचयू में तैयार होने वाले पंचांग पर प्रयोग किया जा रहा है ,इसको लेकर के सूर्य सिद्धांत के सॉफ्टवेयर को भी डेवलप कर रहे हैं और इसी के जरिए भविष्य में पंचांग की एकरूपता को तैयार किया जा रहा है , इस पंचांग को तैयार करने में कई चरणों को पूरा करना होगा, जिसमें सबसे पहले विद्वान अपने पंचांग पर अलग-अलग तरीके के प्रयोग करके उसे प्रमाणित करेंगे.
जब चौथी शताब्दी में इस तरीके की समस्या आई थी, तब आदि गुरु शंकराचार्य ने भी सूर्य सिद्धांत से ही तिथि वार हो रही मतभेद की समस्या का समाधान किया था और अब एक बार फिर से इसी फार्मूले पर आगे काम किया जा रहा है, जिसमें वैदिक परंपरा के साथ आधुनिक तकनीक का भी प्रयोग किया जा रहा है.
Location :Varanasi,Varanasi,Uttar PradeshFirst Published :April 10, 2025, 16:13 ISThomeuttar-pradeshएक त्योहार की 2 तिथियां नहीं होंगी, BHU ने निकाला हल, बनेगा एक देश एक पंचांग