जौनपुर: महाराष्ट्र के विनय गणपत पवार ने अध्यात्म और भक्ति के क्षेत्र में एक अद्वितीय पहल की है. उन्होंने भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों 12 ज्योतिर्लिंगों और चार धाम की पैदल यात्रा का संकल्प लिया है. इसकी कुल दूरी 10,000 किलोमीटर से भी अधिक होगी. यह यात्रा न केवल शारीरिक दृढ़ता का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति, भक्ति और आस्था के प्रति उनके गहन समर्पण को भी दर्शाती है.
विनय पवार की यह यात्रा महाराष्ट्र से शुरू होकर पूरे भारतवर्ष के प्रमुख धार्मिक स्थलों से होती हुई फिर वापसी तक फैली हुई है. वे इस यात्रा में देश के कोने-कोने में स्थित 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों सोमनाथ (गुजरात), मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश), ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), केदारनाथ (उत्तराखंड), भीमाशंकर (महाराष्ट्र), काशी विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश), त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र), वैद्यनाथ (झारखंड), नागेश्वर (गुजरात), रामेश्वरम (तमिलनाडु) और घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र) के दर्शन करेंगे.
इसके साथ ही वे हिंदू धर्म के चार पवित्र धाम बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम की भी यात्रा करेंगे. इन स्थलों की यात्रा को हिंदू धर्म में मोक्षदायी माना गया है. विनय पवार ने इस यात्रा को पूर्ण रूप से पैदल करने का निर्णय लिया है, जो अपने आप में एक अद्वितीय और प्रेरणादायक प्रयास है.
यात्रा के दौरान वे सामाजिक संदेश भी देंगे, जैसे स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक एकता का महत्व. विनय का मानना है कि भक्ति केवल मंदिरों तक सीमित नहीं होती, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए सकारात्मक कार्य करना भी भक्ति का एक रूप है.
विनय की यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि शारीरिक और मानसिक दृढ़ता का भी परिचायक है. बिना किसी बड़े प्रायोजक या प्रचार के वे अपने सीमित संसाधनों के साथ इस कठिन यात्रा को पूरा करने के लिए संकल्पित हैं. वे प्रतिदिन औसतन 25 से 30 किलोमीटर पैदल चलेंगे और रास्ते में साधु-संतों, स्थानीय लोगों और यात्रियों से संवाद स्थापित करेंगे.
उनकी यह पहल उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में किसी उद्देश्य की तलाश में हैं. विनय गणपत पवार का यह संकल्प एक ऐसा अध्यात्मिक यज्ञ है, जो न केवल उनकी आत्मिक उन्नति का माध्यम बनेगा, बल्कि देशवासियों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत सिद्ध होगा.