Last Updated:April 07, 2025, 19:57 ISTKaushambi Muratganj news: देश में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक इमारतें, पेड़, नदी और तालाब हैं. इन सभी का अपना इतिहास है..X
मूरतगंज का पक्का तालाब कौशांबी: ऐतिहासिक धरोहरों को लेकर काफी लोग बहुत जागरूक हैं और उन्हें बचाने और संरक्षित करने में दिन रात एक किए रहते हैं. उन जगहों का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है जिनका जिक्र धर्म ग्रंथों में मिल जाता है. ऐसा ही एक ऐतिहासिक धरोहर उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में है. यहां के लोग आज भी अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को संभालकर रखे हुए हैं.
कौशाम्बी के मूरतगंज कस्बे में एक पक्का तालाब है. इस तालाब का जिक्र धर्म ग्रंथों में भी मिलता है. यह तालाब करीब 300 साल पुराना बताया जाता है. तालाब के किनारे लगे नक्काशीदार पत्थर आज भी लोगों को आकर्षित करते हैं. कहा जाता है कि यह तालाब अंग्रेजों के समय खुदवाया गया था. करीब 300 साल पहले 12 गांवों के जमींदार सेठ चमरूलाल ने इसका निर्माण कराया था.
जिले में नक्काशीदार पत्थरों से सजे इस तालाब को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे. यह तालाब जीटी रोड के पास है जो प्रयागराज से कानपुर की ओर जाता है. इस तालाब की खास बात यह है कि इसके उत्तर दिशा में शिव भगवान का प्राचीन मंदिर है. कस्बे के लोग इस तालाब का उपयोग नहाने, कपड़े धोने और जानवरों को पानी पिलाने के लिए करते थे.
कहा जाता है कि कानपुर से प्रयागराज जाने वाले रास्ते पर जब भी अंग्रेज आते थे वे मूरतगंज के इस पक्के तालाब पर ठहरते थे. तालाब के अंदर एक भूलभुलैया भी है, जिसमें प्रवेश करने के बाद बाहर निकलना कठिन होता है. हर साल कृष्ण जन्माष्टमी पर यहां बहुत बड़ा मेला भी लगता है.
Location :Kaushambi,Uttar PradeshFirst Published :April 07, 2025, 19:57 ISThomeuttar-pradeshकौशाम्बी में यहां है 300 साल पुराना तालाब, अंग्रेजों से जुड़ा है इसका इतिहास