Last Updated:March 18, 2025, 09:33 ISTGourd Farming: लौकी की खेती में मचान विधि से पैदावार और गुणवत्ता बढ़ती है. प्रो. अशोक कुमार सिंह के अनुसार इस विधि से पौधे सुरक्षित रहते हैं और कीड़े-बीमारियों का खतरा कम होता है.साथ ही पैदावार भी बंपर होती है,…और पढ़ेंX
मचान विधि से लौकी की खेती हाइलाइट्समचान विधि से लौकी की पैदावार बढ़ती है.इस विधि से पौधे सुरक्षित रहते हैं.किसान तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं.
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: आज के आधुनिक युग में किसान आय को दोगुनी करने के लिए नई-नई तकनीकों का सहारा ले रहे हैं. ऐसे में लौकी की खेती में मचान विधि काफी उपयोगी है. इस प्रकार से खेती करने के लिए लकड़ी, बांस या लोहे के खंभे, तार या रस्सी की आवश्यकता पड़ती है. इस विधि से लौकी उगाने के कई फायदे होते हैं. जी हां किसानों को इस विधि से न केवल लौकी की पैदावार में बढ़ोतरी होती है, बल्कि इसके फल की गुणवत्ता भी शानदार होती है. इस विधि से उगाई गई लौकी काफी सुरक्षित भी रहती है.
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के एचओडी प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि मचान बनाने के लिए लोहे की रॉड या बांस के खंभे लगाए जाते हैं. इसी के सहारे पौधे ऊपर रुके रहते हैं. खंभों के ऊपरी सिरे पर तार बांध दिए जाते हैं. इसके बाद, खेत में मेड बनाकर बीज की बुवाई की जाती है. यह बहुत पुरानी और पारंपरिक विधि है.
मचान विधि के जोरदार फायदे
बुवाई के बाद जब पौधे निकलने लगे तो उसे तार, रस्सी या लकड़ी के सहारे मचान पर चढ़ा दिया जाता है. इसके पौधे की लताएं मचान पर फैलने लगती हैं. जब पौधों में फल आने लगते हैं, तो ये फल जमीन या मचान को छूते नहीं हैं. बल्कि मचान के ढांचे पर बेलों के सहारे हवा में ही लटकते रहते हैं.
किसान बनते हैं मालामाल, इस विधि में नो टेंशन
इस विधि से लौकी की उपज न केवल दोगुनी होती है, बल्कि क्वालिटी में भी बढ़ोतरी होती है. इस विधि से की गई फसल सुरक्षित रहती है. इस दौरान इसमें कीड़े और बीमारियों का खतरा बहुत कम होता है. इस विधि से फसलों को पर्याप्त धूप और हवा मिलती है, जिस कारण जल्द ही पौधों की बढ़ोतरी होती है.
Location :Ballia,Ballia,Uttar PradeshFirst Published :March 18, 2025, 09:29 ISThomeagricultureइस तरीके से करें लौकी की खेती, नहीं लगेंगे रोग, बंपर हो जाएगी पैदावार