who named jhansi and why its railway station name changed

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who named jhansi and why its railway station name changed



उत्तर प्रदेश के पुराने जिलों में एक और प्रसिद्ध शहर झांसी के रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई कर दिया गया है. शहर का नाम झांसी ही रहेगा. हालांकि ये कुछ अटपटा लगता है. वो भी तब जबकि इस नाम को बदलने की कभी मांग ही नहीं की गई. वैसे झांसी नाम हमारे मुहावरों और कोक्तियों से जुड़ा रहा है. कहा जा सकता है झांसी और रानी लक्ष्मीबाई का नाम अपने आपमें एक- दूसरे के पूरक हो चुके हैं.
जब रानी लक्ष्मीबाई शासन करती थीं, तब भी इस जगह का नाम इसका नाम झांसी ही था. रेलवे स्टेशन तो यहां बाद में बना.
रानी लक्ष्मीबाई के निधन के बाद अंग्रेजों ने 1880 के आखिर में ये रेलवे स्टेशन बनवाया. झांसी का रेलवे स्टेशन देश के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में एक है. इसके प्लेटफॉर्म आम रेलवे प्लेटफार्म से ज्यादा लंबे हैं इन पर एक साथ दो ट्रेनों को हैंडल किया जा सकता है.

झांसी रेलवे स्टेशन की इमारत किसी किले की तरह लगती है और उसमें उसी तरह का रंगोरोगन भी किया गया है.

इसका नाम ना मुगलों ने रखा और ना अंग्रेजों नेवैसे झांसी का नाम ना तो मुगलों द्वारा रखा गया और ना ही अंग्रेजों के द्वारा. ये तो स्वाभाविक तौर पर सैकड़ों सालों से लोगों की जुबान पर चढ़ता आया है. कभी किसी ने झांसी के रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की बात भी नहीं सोची. ये राज्य सरकार की योजना है. उन्होंने तीन महीने पहले केंद्र सरकार को इस तरह का प्रस्ताव भेजा, जिसे स्वीकार कर लिया गया.
कई शहरों के नाम बदले गएइससे पहले योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में फैजाबाद को अयोध्या, इलाहाबाद को प्रयागराज, मुगलसराय को दीन दयाल उपाध्याय नगर बना दिया गया है. बस इस अंतर ये है कि जिले का नाम नहीं बदला गया है. बल्कि केवल रेलवे स्टेशन का नाम बदला है.
वैसे रेलवे स्टेशन के नाम को बदलने के पीछे राज्य सरकार का तर्क यही है रानी लक्ष्मीबाई वीरांगना थीं. इस इलाके की पहचान उन्हीं से है, जिसका सांस्कृतिक तौर पर महत्व है. हालांकि जानने वाले इसके पीछे सियासी फायदे नुकसान को देख रहे हैं.

झांसी और रानी लक्ष्मीबाई का नाम एक दूसरे के इतने पूरक हो चुके हैं कि इसे लेकर ना जाने कितनी लोकोक्तियां और मुहावरे गढ़े गए. (विकी कामंस)

कैसे पड़ा इस ऐतिहासिक शहर का नाम झांसीआइए अब जानते हैं कि झांसी का नाम कैसे झांसी पड़ा और फिर रानी लक्ष्मीबाई के साथ मुकम्मल तौर पर चस्पां हो गया. झांसी प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है. ‘भारतीय इतिहास’ में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है. इस शहर को 1857 के बाद रानी लक्ष्मीबाई की वीरता से जोड़कर देखा जाता रहा है.
ये शहर 09 शताब्दी में बसा. झांसी के क़िले का निर्माण 1613 ई. में ओरछा शासक वीरसिंह बुन्देला ने करवाया था. कहा जाता है राजा वीरसिंह बुन्देला ने दूर से पहाड़ी पर एक छाया देखी, जिसे बुन्देली भाषा में ‘झाँई सी’ बोला गया. इसी शब्द के बिगड़ते स्वरूप इस शहर का नाम झांसी पड़ गया. 1734 ई. में छत्रसाल के निधन के बाद बुन्देला क्षेत्र का एक तिहाई भाग मराठों को दे दिया गया. फिर ये एक मराठा राज्य बन गया.
क्यों रानी लक्ष्मीबाई की जंग अंग्रेजों से हुईरानी लक्ष्मीबाई के पति का नाम राजा गंगाधर राव था. 1857 ई. में उनकी मृत्यु हो गई. ईस्ट इंडिया कंपनी इस पूरे राज्य का कंपनी के राज्य के तौर पर विलय करने की घोषणा कर दी. विधवा रानी लक्ष्मीबाई ने इसका विरोध किया. उन्होंने विरोधस्वरूप 1857 के स्वाधीनता संग्राम में शिरकत किया. हालांकि जून 1858 में रानी के निधन के बाद अंग्रेजों ने उनके राज्य पर कब्जा कर लिया. सन 1886 ई. में झांसी को यूनाइटेड प्रोविंस में जोड़ा गया, जो देश की आज़ादी के बाद 1956 में उत्तर प्रदेश बना.
रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रियारेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया की शुरुआत राज्य सरकार की तरफ से होती हैराज्य सरकार का अनुरोध रेलवे बोर्ड के पास जाता हैरेलवे बोर्ड इसे अनापत्ति के लिए गृह मंत्रालय के पास भेजता हैगृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद रेलवे बोर्ड नाम को बदल देता हैनाम बदलने के साथ स्टेशन का कोड भी बदला जाता हैकोड को रेलवे के सारे दस्तावेजों में जगह दी जाती हैहालांकि कोड बदलने से बड़े पैमाने पर कागजों और दस्तावेजों में बदलाव करना पड़ता है

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