NEET Success Story: पिता कमाते थे 8000 रुपये महीना, कर्ज लेकर बेटी को दिलाया स्मार्टफोन, नीट पास कर AIIMS पहुंची बिटिया

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NEET Success Story: पिता कमाते थे 8000 रुपये महीना, कर्ज लेकर बेटी को दिलाया स्मार्टफोन, नीट पास कर AIIMS पहुंची बिटिया

Last Updated:March 15, 2025, 13:22 ISTNEET Success Story: नीट दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. नीट पास करने वालों में से कुछ की सक्सेस स्टोरी काफी मोटिवेशनल है. गरीब परिवार के कई बच्चों ने अपनी मेहनत के दम पर नीट में पास होकर सफलता की नई…और पढ़ेंCharul Honariya NEET: चारुल होनारिया एम्स दिल्ली से एमबीबीएस कर रही हैंहाइलाइट्सचारुल होनारिया ने नीट पास कर AIIMS दिल्ली में एडमिशन लिया.चारुल के पिता ने कर्ज लेकर स्मार्टफोन दिलाया.चारुल ने 720 में से 680 अंक हासिल किए.नई दिल्ली (Charul Honariya NEET Success Story). चारुल होनारिया उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के करतारपुर गांव की रहने वाली हैं. उनके पिता शौकीन सिंह किसान हैं. एक गरीब किसान के लिए 7 सदस्यों का परिवार संभाल पाना आसान नहीं रहा होगा. इनकी पारिवारिक आय कम होने पर भी चारुल की पढ़ाई में कभी कोई रुकावट नहीं आई. जिस घर से कभी कोई गांव से बाहर नहीं निकला, वहीं की एक बेटी ने नीट पास कर एम्स दिल्ली में एडमिशन ले लिया.

चारुल होनारिया के पिता की कमाई सिर्फ 8 हजार रुपये प्रति महीना है. आर्थिक तंगी के बावजूद चारुल ने डॉक्टर बनने का सपना देखा. उसे पूरा करने के लिए उन्होंने खूब मेहनत भी की. चारुल होनारिया ने 10वीं क्लास से ही नीट परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. कम उम्र से ही उन्होंने बड़े सपने देखने शुरू कर दिए थे. चारुल होनारिया का अंग्रेजी में हाथ तंग था. लेकिन उन्होंने अपनी इस कमी को भी सुधारा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चारुल क्लास 6 से अंग्रेजी पर फोकस करने लगी थीं.

NEET Motivational Story: हौसले के आगे हार गई हर चुनौतीचारुल होनारिया के गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी थी, वहां न अच्छी सड़कें थीं, न बिजली और न ही शिक्षा के बेहतर अवसर. फिर भी उन्होंने बचपन से डॉक्टर बनने का सपना देखा ताकि वह अपने गांव के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दे सकें. चारुल होनारिया के लिए नीट की तैयारी करना आसान नहीं था. उनका यह सफर चुनौतियां से भरा हुआ था. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाती रहीं. जानिए चारुल होनारिया की चुनौतियां.

आर्थिक तंगी: परिवार की माली हालत इतनी खराब थी कि पढ़ाई के लिए किताबें और कोचिंग की फीस जुटा पाना मुश्किल था.

भाषा की बाधा: चारुल को शुरुआत में अंग्रेजी भाषा में दिक्कत होती थी, जो नीट की तैयारी के लिए जरूरी थी, उन्होंने छठी कक्षा से इसे सुधारना शुरू किया था.

संसाधनों की कमी: गांव में इंटरनेट कनेक्शन खराब था. लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लासेस लेने के लिए उन्हें छत पर बैठना पड़ता था. उनके पिता ने कर्ज लेकर स्मार्टफोन खरीदा ताकि वह पढ़ाई जारी रख सकें.

पहला असफल प्रयास: 2019 में चारुल नीट परीक्षा में असफल हो गई थीं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अगले प्रयास की तैयारी शुरू कर दी थी.

Charul Honariya NEET Rank: स्कॉलरशिप से की पढ़ाईचारुल ने 10वीं से ही नीट की तैयारी शुरू कर दी थी. आर्थिक तंगी के कारण वह कोचिंग नहीं ले पाई थीं. लेकिन उन्हें विद्या ज्ञान स्कूल में मुफ्त शिक्षा के लिए 100% स्कॉलरशिप मिल गई थी, जो गरीब मेधावी छात्रों के लिए रिजर्व्ड है. चारुल होनारिया ने 12वीं में 93% अंक हासिल किए थे. 2019 में असफल होने के बाद उन्होंने दक्षणा कोचिंग में स्कॉलरशिप ली और फिर 2020 में नीट परीक्षा दी. इस बार उन्होंने 720 में से 680 अंक हासिल किए. उनकी ऑल इंडिया रैंक 681 थी.

इससे उन्हें देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान AIIMS दिल्ली के एमबीबीएस प्रोग्राम में एडमिशन मिल गया था. चारुल होनारिया के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, वह एम्स दिल्ली एमबीबीएस प्रोग्राम के 2020-2025 बैच की स्टूडेंट हैं (Charul Honariya AIIMS Delhi).
First Published :March 15, 2025, 13:22 ISThomecareerपिता गरीब किसान, कर्ज लेकर खरीदा स्मार्टफोन, NEET पास कर बिटिया पहुंची AIIMS

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