लखनऊ की वो शाम, जब कोहरे को चीरता आया था श्रीप्रकाश शुक्ला, बीच सड़क पर लॉटरी किंग की हत्या

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लखनऊ की वो शाम, जब कोहरे को चीरता आया था श्रीप्रकाश शुक्ला, बीच सड़क पर लॉटरी किंग की हत्या

Last Updated:March 10, 2025, 12:17 ISTShri Prakash Shukla News: श्रीप्रकाश शुक्ला यानी की खौफ का दूसरा नाम यानी की खुद एक काल. श्रीप्रकाश शुक्ला कितना खतरनाक था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो कभी जिंदा पुलिस के हाथ नहीं लगा.श्री प्रकाश शुक्ला की खौफनाक कहानी.लखनऊः 1997, 11 जनवरी की शाम, जब सड़कें कोहरों से ढक रही थीं, तब कोई थी, जो उसे चीरते हुए आगे बढ़ रहा था. यह वही शख्स था, जो उस वक्त जुर्म की दुनिया की नई इबादत लिख रहा था, अपनी बंदूकों से लोगों का काल लिख रहा था, नाम था श्रीप्रकाश शुक्ला, जिसने बीच सड़क पर इतनी गोली चलाई की सुनने वालों के कान भी जवाब दे गए थे. जुर्म की दुनिया में जो कोई भी शख्स थोड़ी सी भी रुचि रखता होगा, वो श्रीप्रकाश शुक्ला के नाम से परिचित होगा.

कभी जिंदा नहीं हाथ लगा पुलिस कोश्रीप्रकाश शुक्ला यानी की खौफ का दूसरा नाम यानी की खुद एक काल. श्रीप्रकाश शुक्ला कितना खतरनाक था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो कभी जिंदा पुलिस के हाथ नहीं लगा. वो तब पकड़ाया जब वो मौत के काल में समा चुका था. वरना उसके मुकाबले के अपराधियों के अलावा पुलिस भी डरती थी. क्योंकि श्रीप्रकाश शुक्ला कभी अकेले नहीं चलता था, वो हमेशा आधुनिक हथियारों के साथ चलता था.

मौत का दूसरा नाम ‘श्रीप्रकाश शुक्ला’श्रीप्रकाश शुक्ला कितना खौफनाक था और कितना ही निर्दयी, इसका अंदाजा एक घटना से लगाई जा सकती है, जो यूपी की राजधानी यानी कि लखनऊ की बीच सड़क पर हुई थी. सीनियर पूर्व आईपीएस अधिकारी राजेश पांडेय श्रीप्रकाश शुक्ला के बारे में अलग-अलग पॉडकास्ट में बात करते हैं और उससे जुड़े हर एक किस्से को भी शेयर करते हैं. ऐसा ही एक किस्सा है लॉटरी व्यापारी की हत्या की, जो कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने खुद अंजाम दिया था. ये हत्या ऐसी थी, जिसकी गोली की आवाज पूरे यूपी को सुनाई दी थी.

लॉटरी किंग थे विवेक श्रीवास्तवएक पॉडकास्ट में पूर्व आईपीएस राजेश पांडे किस्सा बताते हुए कहते हैं, ‘मायावती का जमाना था और लॉटरी अपने शबाब पर थी, चरम पर थी. एक विवेक श्रीवास्तव हुआ करते थे लखनऊ में, जो लॉटरी किंग थे. उसने अपना एक लॉटरी हाउस बनवा रखा था, लाटूस रोड पर. वहां दिनभर भीड़ लगी रहती थी. लोगों का आना-जाना लगा रहता था.’

बीच सड़क पर विवेक श्रीवास्तव को मारी थी गोलीआगे उन्होंने बताया, ‘एक दिन श्रीप्रकाश शुक्ला ने विवेक श्रीवास्तव को फोन किया और उसे अपने बहनोई को लखनऊ का एक एरिया देने को कहा. अमीनाबाद वाली लॉटरी का काम इन्हें दे दो. विवेक ने श्रीप्रकाश शुक्ला को डांट दिया. उसने कहा कि हमारा आदमी जो वहां कर रहा है, उसको क्या देंगे और फोन काट दिया. चूंकि विवेक रसूखदार आदमी था. पैसे वाला था, जान-पहचान अच्छी थी उसकी. एक दिन विवेक श्रीवास्तव लाटूस रोड स्थित अपना ऑफिस बंद करके घर जा रहा था, तभी श्रीप्रकाश शुक्ला ने गाड़ी से उसे बीच सड़क पर रोक लिया और 50-60 गोलियां विवेक को मारीं.
First Published :March 10, 2025, 12:17 ISThomeuttar-pradeshलखनऊ की वो शाम, जब आया था श्रीप्रकाश शुक्ला, बीच सड़क पर लॉटरी किंग की हत्या

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