Lathmar Holi Barsana : बरसाना में क्यों खेली जाती है लठ्ठमार होली? दिलचस्प है पूरी कहानी – Why Lathmar Holi Barsana is most fervently celebrated know interesting story behind its origin

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Lathmar Holi Barsana : बरसाना में क्यों खेली जाती है लठ्ठमार होली? दिलचस्प है पूरी कहानी - Why Lathmar Holi Barsana is most fervently celebrated know interesting story behind its origin

Last Updated:March 07, 2025, 23:53 ISTLathmar Holi Barsana Origin Story : बृज में बरसाना को लट्ठमार होली का केंद्र माना जाता है. लट्ठमार होली राधा और कृष्ण के प्रेम का प्रतीक भी है. इस होली का इंतजार सबको सालभर रहता है. बरसाना की लठ्ठमार होली की कहानी बेहद दिलचस्प हैहाइलाइट्सबरसाना में लट्ठमार होली राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है.लड्डू होली में पांडा का लड्डू फेंककर स्वागत होता है.नंदगांव के हुरियारे बरसाना की हुरियारिनों से होली खेलने आते हैं.मथुरा. बरसाना के प्रमुख श्रीजी मंदिर में शुक्रवार को बड़े ही धूमधाम से लड्डू होली खेली गई. बरसाना की लट्ठमार होली से ठीक एक दिन पहले खेली जाने वाली इस लड्डू होली का बृज में विशेष महत्त्व है. इस दिन नंदगांव के हुरियारों को न्यौता देकर पांडा बरसाना लौटता है, जिसका सभी लड्डू फेंककर स्वागत करते हैं. स्वागत की ऐसी छटा मंदिर में देखने को मिलती हे जिससे बरसाना स्थित ब्रह्मांचल पर्वत राधा और कृष्ण के प्रेम से जीवंत हो उठता है. आज इसी लड्डू होली में शामिल होने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ . रोपवे के जरिए श्रीजी मंदिर पहुंचे. श्रीजी के दर्शन कर पूजा पाठ कर मंगल की कामना की. इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजा दिखाई दिए.

इसके बाद सीएम बरसाना स्थित राधा बिहारी इंटर कॉलेज के प्रांगण में आयोजित रंगोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत करने पहुंचे. उन्होंने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके बाद कलाकारों ने गीत-संगीत के जरिए होली की परम्परा और राधा कृष्ण की लीलाओं को अपनी कला के माध्यम से जीवंत किया.

बृज में लट्ठमार होली की परंपरा बेहद प्राचीन है. बरसाना को इसका केंद्र माना जाता है. बरसाने की लट्ठमार होली के विश्वप्रसिद्ध होने की वजह है इसका परंपरागत स्वरूप. बरसाने की लठमार होली के बारे में कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण एक दिन राधा से मिलने के लिए बरसाना गए थे. वहां पहुंचकर राधा और उनकी सखी-सहेलियों को चिढ़ाने लगे. इससे राधा रानी और सखियां नाराज हो गईं. फिर सबने मिलकर भगवान कृष्ण और वहां मौजूद ग्वालों को लाठियों से पीटना शुरू कर दिया. तभी से नंदगांव और बरसाना में लठमार होली की शुरुआत हुई. यह परंपरा लट्ठमार होली राधा और कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है.

नंदगांव से आते हैं हुरियारेबरसाने की हुरियारिनों से होली खेलने के लिये नंदगांव के हुरियारे आते हैं. इसके लिये बाकायदा एक दूत न्यौता देने नंदगांव पहुंचता है जो आज के दिन लौटकर बरसाना आता है. इस दूत को यहां पांडा कहा जाता है. जब ये पांडा लौटकर बरसाने के प्रमुख श्रीजी मंदिर में पहुंचता है तो यहां मंदिर में सभी गोस्वामी इकठ्ठा होकर उसका स्वागत करते है. बधाई स्वरूप पांडा पर लड्डू फेंकते हैं. उसके बाद मंदिर प्रांगण में मौजूद भक्त भी पांडा के ऊपर लड्डू फेंकते हैं. हम सभी इसे लड्डू होली के नाम से जानते हैं. इस होली में शामिल होने के लिये देश के कोने-कोने के अलावा विदेशी भक्त बरसाना पहुंचते हैं. लड्डू होली का आनंद उठाते हैं. उधर, बरसाना की होली में बड़ी संख्या में लोग सखी रूप में 16 श्रृंगार कर पहुंचते हैं. कान्हा के साथ होली खेलते हैं. इस होली का इंतजार उनको सालभर रहते हैं.
Location :Mathura,Uttar PradeshFirst Published :March 07, 2025, 23:51 ISThomeuttar-pradeshबरसाना में क्यों खेली जाती है लठ्ठमार होली? दिलचस्प है पूरी कहानी

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