सर्दी का मौसम खत्म होते ही बिच्छू का आतंक शुरू हो जाता है. इसके डंक से कई लोगों की जान चली जाती है. बिच्छू के डंक को लेकर तमाम भ्रांतियां भी फैली हुई है, जो ग्रामीण इलाकों में लोग पीतल की थाली पीठ पर सटाकर डंक का असर उतारने का प्रयास करते हैं, जिसे झाड़-फूंक कहा जाता है. हालांकि, बिच्छू के डंक से होने वाला दर्द बेहद असहनीय होता है. (रिपोर्टः सनन्दन उपाध्याय/बलिया)