Will brain training double your memory or is hard work useless new study answers | दिमाग की ट्रेनिंग से याददाश्त होगी दोगुनी या बेकार है मेहनत? नई स्टडी का जवाब हैरान कर देगा आपको!

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Will brain training double your memory or is hard work useless new study answers | दिमाग की ट्रेनिंग से याददाश्त होगी दोगुनी या बेकार है मेहनत? नई स्टडी का जवाब हैरान कर देगा आपको!



क्या आपने कभी सोचा कि टिप की गणना करना या किसी पते को आसानी से याद रखना कुछ लोगों के लिए इतना आसान क्यों होता है? इसका जवाब है हमारी वर्किंग मेमोरी, जो छोटी-छोटी जानकारियों को थोड़े समय के लिए याद रखने और प्रोसेस करने की क्षमता देती है. वैज्ञानिक लंबे समय से यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इस मेमोरी को ट्रेनिंग से बेहतर बनाया जा सकता है या इसमें कोई जैविक सीमा है. नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी और ब्राउन यूनिवर्सिटी के हालिया शोध ने इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की है और इसके नतीजे चौंकाने वाले हैं.
वर्किंग मेमोरी हमारे डेली कामों जैसे समस्या हल करने, फैसले लेने और मल्टीटास्किंग के लिए बेहद जरूरी है. नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी की मनोविज्ञान प्रोफेसर सुजैन जेगी के मुताबिक, अगर यह कमजोर हो तो हमारे सोचने-समझने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है. उनकी टीम ने 568 छात्रों पर एक अध्ययन किया, जिसमें ब्रेन ट्रेनिंग एक्सरसाइज कराई गईं. मशीन लर्निंग की मदद से शोधकर्ताओं ने पाया कि ट्रेनिंग से मेमोरी को बेहतर बनाया जा सकता है, लेकिन यह हर किसी के लिए अलग-अलग काम करती है. यानी आपकी पहले से मौजूद स्किल्स, इंस्पिरेशन और सीखने का तरीका तय करता है कि ट्रेनिंग कितनी कारगर होगी.
कैसे हुआ शोधइस शोध में ब्रेन गेम सेंटर के खेलों का इस्तेमाल किया गया, जिसमें खिलाड़ियों को उत्तेजनाओं के क्रम को याद रखना था. ये खेल धीरे-धीरे मुश्किल होते गए, जिससे मेमोरी मजबूत हुई. खास बात यह रही कि जो लोग धीरे सीखते थे, लेकिन नए अनुभवों के लिए खुले थे और गेमिंग का अनुभव रखते थे, उन्होंने ट्रेनिंग में ज्यादा मेहनत की. इससे पता चलता है कि प्रेरणा और समस्या हल करने की आदत मेमोरी सुधार में बड़ी भूमिका निभाती है.
लेकिन क्या मेमोरी को अनंत तक बढ़ाया जा सकता है?ब्राउन यूनिवर्सिटी की एनेरी सोनी के नेतृत्व में एक अन्य अध्ययन कहता है कि ऐसा नहीं है. ‘चंकिंग’ यानी जानकारी को समूहों में बांटने से मेमोरी बेहतर होती है, लेकिन दिमाग की स्टोरेज की एक जैविक सीमा है. साथ ही, डोपामाइन, जो प्रेरणा और सीखने के लिए जरूरी रसायन है, भी अहम है. पार्किंसंस, ADHD और सिजोफ्रेनिया जैसे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर में डोपामाइन के असंतुलन से मेमोरी कमजोर होती है. तो ट्रेनिंग के साथ-साथ दिमाग की केमिस्ट्री भी मायने रखती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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