कैंसर जीवन के लिए घातक बीमारी है, जो धीरे-धीरे शरीर में फैलता है. ऐसे में इसका इलाज करके इसे शरीर से बाहर निकाला जा सकता है. लेकिन इलाज का कैंसर के शुरू होते ही किया जाना ज्यादा फायदेमंद होता है. यदि कैंसर का पता पहले चरण में चलता है, तो इस स्थिति में इलाज करना काफी आसान होता है और मरीज के बचने की संभावना बहुत अधिक होती है.
डॉ. सज्जन राजपुरोहित, सीनियर डायरेक्टर ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी, बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली बताते हैं कि पहले चरण में कैंसर का पता चलने से इलाज के विकल्प बेहतर होते हैं और मरीज को कम एग्रेसिव ट्रीटमेंट की जरूरत होती है. जिससे इससे इलाज के बाद होने वाले साइड इफेक्ट भी कम होते हैं और लाइफ की क्वालिटी में भी सुधार होता है.
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पहले स्टेज में कैंसर निदान का फायदा
एक्सपर्ट बताते हैं कि आंकड़ों के अनुसार, फर्स्ट स्टेज में कैंसर का पता चलने से जीवन दर में वृद्धि होती है. कई प्रकार के कैंसर में, यदि इसका पता पहले चरण में चलता है, तो पांच साल की जीवन दर 90% से भी अधिक होती है.
फर्स्ट स्टेज में 90% सर्वाइवल रेट
ब्रेस्ट कैंसर- इस चरण में पहचान होने पर 5 साल जीवित रहने की दर लगभग 99% है.प्रोस्टेट कैंसर- यदि यह शुरुआती स्टेज पर है, तो लगभग 100% जीवित रहने की संभावना रहती है.लंग कैंसर- नॉन-स्मॉल सेल वाले फेफड़े के कैंसर में पहले चरण में लगभग 60% जीवित रहने की दर होती है.कोलोरेक्टल कैंसर- यदि पहले चरण में इसका निदान हो जाए तो मरीज के पांच साल जीवित रहने का आंकड़ा 90% से ऊपर होता है.
पहले स्टेज पर कैंसर का इलाज
स्टेज 1 में कैंसर का पता चलने से इलाज के अधिक प्रभावी विकल्प मौजूद होते हैं. इस समय कैंसर जहां शुरू होता है, वहीं इसका इलाज सर्जरी, लक्षित थैरेपी या रेडिएशन द्वारा किया जा सकता है, जिनमें से कोई भी उपचार ज्यादा एग्रेसिव नहीं होते हैं. यह ट्रीटमेंट मरीज के शरीर पर कम दबाव डालते हैं और इलाज के बाद कम साइड इफेक्ट्स होते हैं, जिससे रिकवरी आसान होती है.
इन वजहों से जिंदा बचना हो सकता है मुश्किल
एक्सपर्ट के मुताबिक, हालांकि पहले चरण में कैंसर का इलाज होने से जीवन दर उच्च होती है, लेकिन कुछ कारक इस दर पर प्रभाव डालते हैं. जैसे- कैंसर का प्रकार- कुछ कैंसर भले ही पहले चरण में हो लेकिन बहुत ज्यादा आक्रामक हो सकते हैं.हेल्थ कंडीशन- मरीज की सेहत भी इलाज के परिणामों को प्रभावित करती है.ट्रीटमेंट- इलाज का शरीर पर कैसा प्रभाव पड़ता है यह भी सर्वाइवल रेट को प्रभावित करता है.
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नियमित स्क्रीनिंग जरूरी
कई सारे कैंसर पहले स्टेज पर कोई लक्षण नहीं दिखाते हैं. ऐसे में कैंसर को शुरू होते ही पहचानने के लिए रेगुलर स्क्रीनिंग जरूरी है. खासतौर पर ऐसे लोग जिनके फेमली में कैंसर की हिस्ट्री है उन्हें मैमोग्राम, पैप स्मीयर, कोलोनोस्कोपी और लो-डोज सीटी स्कैन जैसे टेस्ट समय-समय पर करवाते रहना चाहिए.