Last Updated:February 28, 2025, 12:05 ISTजीवामृत एक तरल पोषक तत्व है. जीवामृत बनाने हेतु विभिन्न सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से देसी गाय का गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन तथा पीपल व बरगद के जड़ के पास की रसायन रहित मिट्टी का उपयोग किया …और पढ़ेंX
ब्रह्मास्त्र नाम का प्राकृतिक रसायन विभिन्न प्रकार के रसायनों का तेजी से खेती में इस्तेमाल होने से मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है. इसी के चलते सरकार द्वारा रसायन मुक्त उत्पादन के लिए जैविक रसायनों के प्रयोग को बढ़ावा देने की कवायत चल रही है. ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं क्या होता है जैविक रसायन. इसके प्रयोग से कृषि में पैदावार तो बढ़ेगी साथ ही लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होगा.
क्या होती है प्राकृतिक खेती
कृषि विज्ञान केंद्र सुलतानपुर में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डॉ सीके त्रिपाठी ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि प्राकृतिक खेती मुख्य रूप से सूक्ष्म जीवों की खेती है. इस खेती के माध्यम से मृदा में सूक्ष्मजीवों की संख्या को बढ़ाकर मृदा की उर्वरता को बढ़ाना तथा रसायन रहित खेती करने को बढ़ावा देना है. प्राकृतिक खेती के अंतर्गत विभिन्न घटकों का उपयोग करके, खेती की जाती है जिसमें मुख्य रूप से मृदा में पोषक तत्व उपलब्ध करने हेतु जीवामृत का उपयोग करते हैं.
क्या होता है जीवामृत
जीवामृत एक तरल पोषक तत्व है, जो मृदा में फसलों हेतु विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों को प्रदान करने का कार्य करती है. जीवामृत बनाने हेतु विभिन्न सामग्री का उपयोग किया जाता है जिसमें मुख्य रूप से देसी गाय का गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन तथा पीपल व बरगद के जड़ के पास की रसायन रहित मिट्टी का उपयोग किया जाता है.
इस तरह बनाएं जीवामृत
जीवामृत बनाने के लिए एक प्लास्टिक का 200 लीटर क्षमता वाला ड्रम का उपयोग करते हैं, जिसमें 150 लीटर पानी भरकर उसमें 10 किलोग्राम देसी गाय का गोबर, 10 लीटर देशी गाय का गोमूत्र, 1.5 से 2 किलोग्राम गुड़, 1.5 से 2 किलोग्राम बेसन तथा पीपल बरगद जैसे वृक्ष के जड़ के पास की 100 ग्राम मिट्टी का उपयोग करते हुए इन सभी को एक साथ मिला लेते हैं. इसके बाद घड़ी की सुई की दिशा में अच्छे से चला लेते हैं और फिर जूट की बोरी से ढक कर रख देते हैं. इसको सुबह-शाम लकड़ी के डंडे से घड़ी की सुई की दिशा में चलाते हैं.
इस विधि से करें छिड़काव
ये जीवामृत 3 से 5 दिनों में बनकर तैयार हो जाता है तथा इसका उपयोग 12 से 15 दिनों तक खेत में कर सकते हैं. एक एकड़ खेत में इसको छिड़काव के माध्यम से या सिंचाई के पानी में टपक विधि से डालकर पूरे खेत में इसका उपयोग कर सकते हैं.
Location :Sultanpur,Uttar PradeshFirst Published :February 28, 2025, 12:05 ISThomeagricultureप्राकृतिक खेती मुख्य रूप से सूक्ष्म जीवों की खेती है. इस खेती के माध्यम से मृदा में सूक्ष्मजीवों की संख्या को बढ़ाकर मृदा की उर्वरता को बढ़ाना तथा रसायन रहित खेती करने को बढ़ावा देना है.प्राकृतिक खेती