गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) एक रेयर हेल्थ कंडीशन है, लेकिन महाराष्ट्र और पुणे में इसके बढ़ते मामलों और मौत के केस ने इसे गंभीर बना दिया है. इसमें शरीर की इम्यून सिस्टम अपनी ही पेरिफेरल नर्वस पर हमला करने लगती है. इस सिंड्रोम का कारण आमतौर पर कोई बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह टीकों या सर्जरी के बाद भी विकसित हो सकता है.
हाल ही में HT से बातचीत करते हुए मनिपाल अस्पताल, मिलर्स रोड के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. राजेश बी अय्यर ने बताया कि गुलियन बैरे सिंड्रोम तब होता है जब शरीर में इम्यून रिएक्शन के कारण पेरिफेरल नर्व डैमेज होने लगती है. यह स्थिति आमतौर पर श्वसन या आंतरिक संक्रमण के बाद देखी जाती है और बहुत कम मामलों में टीकों या सर्जरी के बाद होती है. इस सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों में लकवा की समस्या बहुत आम है. इतना ही नहीं यह स्थिति समय रहते पहचानने और इलाज न मिलने पर जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है.
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गुलियन बैरे सिंड्रोम और पैरालिसिस का संबंध
डॉ. अय्यर के अनुसार, गिलियन बैरे सिंड्रोम में नर्व्स के शारीरिक आवरण (माइलिन) को नुकसान पहुंचता है, जिससे ये नर्व ठीक तरह से काम नहीं कर पाते हैं. माइलिन नर्व्स को इन्सुलेशन देने और त्वरित संकेत भेजने में मदद करता है. अगर यह माइलिन शारीरिक आवरण डैमेज हो जाए, तो इससे तंत्रिका तंतुओं में सूजन और कमजोरी हो सकती है, जो पैरालिसिस का कारण बनती है. इसका असर सबसे पहले पैर में नजर आता है.
गुलियन बैरे सिंड्रोम
गुलियन बैरे सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के एक से दो हफ्तों बाद दिखाई देते हैं. डॉ. राजेश बी अय्यर के अनुसार, शुरुआत में मरीज को उंगलियों और पैरों में झनझनाहट और मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन महसूस होती है. इसके बाद, यह कमजोरी बढ़ने लगती है और पैरालिसिस धीरे-धीरे शरीर के निचले हिस्से से ऊपर की ओर फैलने लगती है. यह प्रक्रिया कमर, हाथों, श्वसन की मांसपेशियों और मस्तिष्क तक भी पहुंच सकती है.
इलाज का विकल्प
गुलियन बैरे सिंड्रोम के इलाज का तरीका लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है. हलके मामलों में उपचार केवल निगरानी और सहायक देखभाल तक सीमित हो सकता है. लेकिन यदि कमजोरी गंभीर हो, तो उपचार में इंट्रावेनस ह्यूमन इम्युनोग्लोबुलिन का उपयोग या प्लाज्मा फेरेसिस की प्रक्रिया शामिल हो सकती है, जिसमें खून से एंटीबॉडी निकालने के लिए डायलिसिस जैसा तरीका अपनाया जाता है. इस प्रक्रिया से शरीर में इम्यून रिएक्शन को कम करने में मदद मिलती है.
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