Sugar craving is not a sign of hunger it may also due to depression says latest study | अक्सर मीठा खाने की चाह कहीं मानसिक बीमारी का संकेत तो नहीं? नई रिसर्च का बड़ा खुलासा

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Sugar craving is not a sign of hunger it may also due to depression says latest study | अक्सर मीठा खाने की चाह कहीं मानसिक बीमारी का संकेत तो नहीं? नई रिसर्च का बड़ा खुलासा



अगर आपको बार-बार मीठा खाने की तलब लगती है, तो इसे सिर्फ एक खाने की आदत समझकर नजरअंदाज न करें. एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि ज्यादा मीठा खाने की चाहत मानसिक स्वास्थ्य, खासकर डिप्रेशन और एंग्जायटी से जुड़ी हो सकती है.
जर्मनी की यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल बॉन (UKB), यूनिवर्सिटी ऑफ बॉन और यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ट्यूबिंगन के शोधकर्ताओं ने पाया कि डिप्रेशन के मरीजों में भूख कम लगती है, लेकिन वे कार्बोहाइड्रेट यानी मीठे खाद्य पदार्थों की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं.
अब तक यह माना जाता था कि ज्यादा कार्ब्स खाने की इच्छा अधिक भूख के कारण होती है, लेकिन इस अध्ययन ने यह धारणा गलत साबित कर दी. शोधकर्ताओं ने बताया कि मीठे खाद्य पदार्थों की चाहत का संबंध डिप्रेशन और खासकर एंग्जायटी के स्तर से जुड़ा होता है.
डिप्रेशन और खाने की आदतों के बीच क्या है कनेक्शन?शोधकर्ताओं के अनुसार, जो लोग डिप्रेशन से जूझ रहे होते हैं, वे अपने मूड को बेहतर करने के लिए मीठा खाते हैं. डिप्रेशन में आमतौर पर लोग या तो कम खाते हैं या फिर ज्यादा. ऐसे में कार्बोहाइड्रेट और मीठे पदार्थ उनका दिमागी संतुलन बनाए रखने का जरिया बन जाते हैं.
क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. तेजस लिमये के अनुसार, डिप्रेशन से जूझ रहे लोग खाने को एक इमोशनल सहारा मानते हैं. लेकिन यह एक खतरनाक आदत बन सकती है. ऐसे लोगों को प्राकृतिक मिठास (जैसे फल और ड्राई फ्रूट्स) का सेवन करना चाहिए, न कि प्रोसेस्ड शुगर.
कार्ब्स कैसे बढ़ाते हैं डिप्रेशन के लक्षण?शुगर ब्रेन के रिवॉर्ड सिस्टम को एक्टिवेट करता है, जिससे कुछ देर के लिए अच्छा महसूस होता है. लेकिन अधिक मीठा खाने से ब्लड शुगर लेवल असंतुलित हो सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य और बिगड़ सकता है. यह शरीर में ट्रिप्टोफैन नामक तत्व बढ़ाता है, जिससे सेरोटोनिन और मेलाटोनिन हार्मोन रिलीज होते हैं, जो मूड और नींद को कंट्रोल करते हैं.
डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों को क्या खाना चाहिए?* प्रोटीन से भरपूर आहार- अंडे, मांस, टोफू, डेयरी प्रोडक्ट्स* प्रोबायोटिक्स- दही और फर्मेंटेड फूड्स, जो गट हेल्थ को सुधारते हैं* नेचुरल स्वीट फूड्स- फल, गुड़ और ड्राई फ्रूट्स* बैलेंस डाइट- सब्जियां, होल ग्रेन्स और हेल्दी फैट्स
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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