आज विश्व कैंसर दिवस है और इस मौके पर एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि फेफड़े का कैंसर सिर्फ धूम्रपान करने वालों को ही होता है. लेकिन एक नई रिसर्च ने इस धारणा को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है. लैंसेट के एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि फेफड़े का कैंसर अब धूम्रपान न करने वाले लोगों में भी तेजी से बढ़ रहा है.
लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, बिना धूम्रपान किए भी लंग कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका एक बड़ा कारण वायु प्रदूषण हो सकता है. इस शोध को इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के वैज्ञानिकों ने किया है. इसमें ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma) नामक लंग कैंसर नॉन-स्मोकर्स में सबसे अधिक पाया जा रहा है. रिसर्च में यह भी सामने आया कि 2022 में दुनियाभर में लंग कैंसर के कुल मामलों में 53-70% मामले उन लोगों में पाए गए, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया.
एडेनोकार्सिनोमा क्या हैएडेनोकार्सिनोमा एक प्रकार का लंग कैंसर है, जो उन ग्लैंड्स में विकसित होता है जो शरीर में बलगम और पाचन से जुड़े तरल पदार्थ बनाती हैं. यह कैंसर खासकर महिलाओं और एशियाई देशों में तेजी से बढ़ रहा है. स्टडी में यह भी बताया गया है कि लंग कैंसर के इस प्रकार का संबंध धूम्रपान से बहुत कम है, लेकिन वायु प्रदूषण और वातावरण में मौजूद सूक्ष्म कण (PM 2.5) इसका बड़ा कारण हो सकते हैं.
वायु प्रदूषण बन रहा है कैंसर का कारण!शोधकर्ताओं के अनुसार, दुनियाभर में लंग कैंसर के बढ़ते मामलों में वायु प्रदूषण का अहम योगदान है. खासतौर पर PM 2.5 जैसे प्रदूषक कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं. 2022 में लंग कैंसर से पीड़ित महिलाओं में से 80,378 मामलों का सीधा संबंध वायु प्रदूषण से पाया गया.
महिलाओं और एशियाई देशों में अधिक खतरा!स्टडी में यह भी बताया गया कि लंग कैंसर से होने वाली कुल मौतों में नॉन-स्मोकर्स का पांचवा स्थान है. यह समस्या खासतौर पर महिलाओं और एशियाई देशों में तेजी से बढ़ रही है. IARC के प्रमुख वैज्ञानिक फ्रेडी ब्रे ने कहा कि आज के समय में लंग कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे धूम्रपान की बदलती आदतें और वायु प्रदूषण दो मुख्य फैक्टर हैं. इससे बचने के लिए सरकारों को तंबाकू कंट्रोल और वायु प्रदूषण कंट्रोल पॉलिसी लागू करनी होंगी.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.