Experimental drug wipes out colorectal cancer completely in trial medical science on verge of creating history | इतिहास रचने की कगार पर मेडिकल साइंस, ट्रायल में नई दवा ने कोलोरेक्टल कैंसर को पूरी तरह किया खत्म

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Experimental drug wipes out colorectal cancer completely in trial medical science on verge of creating history | इतिहास रचने की कगार पर मेडिकल साइंस, ट्रायल में नई दवा ने कोलोरेक्टल कैंसर को पूरी तरह किया खत्म



चिकित्सा जगत में एक नई उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है. एक ऐसी दवा जिसने कैंसर के इलाज में एक नया अध्याय जोड़ दिया है. हाल ही में हुए एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि एक नई दवा ने कोलोरेक्टल कैंसर को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. यह खोज मेडिकल साइंस के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है.
एक नए क्लिनिकल ट्रायल में डोस्टार्लिमैब (Dostarlimab) नामक दवा ने 100% सफलता दर दिखाई है, जिससे यह चिकित्सा जगत में चर्चा का विषय बन गई है. इस दवा के सेवन से 18 मरीजों में से सभी पूरी तरह ठीक हो गए और उनके शरीर में कैंसर का कोई निशान नहीं बचा. यह ट्रायल अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में किया गया था.
कैसे काम करती है डोस्टार्लिमैब?डोस्टार्लिमैब एक इम्यूनोथैरेपी ड्रग है, जो PD-1 (Programmed Death-1) रिसेप्टर को ब्लॉक करती है. आमतौर पर, कैंसर सेल्स इस रिसेप्टर का उपयोग करके शरीर के इम्यून सिस्टम से बच निकलती हैं. लेकिन यह दवा टी-कोशिकाओं (T-cells) को कैंसर की पहचान करने और उसे नष्ट करने में मदद करती है. इस प्रक्रिया से शरीर के इम्यून सिस्टम खुद ही कैंसर सेल्स को समाप्त कर देती है.
क्या यह दवा सभी कैंसर मरीजों के लिए असरदार होगी?विशेषज्ञों का मानना है कि यह सफलता mismatch repair-deficient (dMMR) कोलोरेक्टल कैंसर वाले मरीजों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह हर प्रकार के कोलोरेक्टल कैंसर के लिए उतनी प्रभावी नहीं हो सकती. गुरुग्राम स्थित सीके बिरला हॉस्पिटल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी की कंसल्टेंट डॉ. पूजा बब्बर का कहना है कि यह ट्रायल अभी छोटे लेवल पर किया गया है और इस दवा की लंबी अवधि की प्रभावशीलता की पुष्टि करने के लिए बड़े पैमाने पर अध्ययन आवश्यक हैं.
कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव कैसे करें?कोलोरेक्टल कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं, खासकर 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में. विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर स्क्रीनिंग, बैलेंस डाइट, नियमित व्यायाम, तंबाकू और शराब से दूरी और फाइबर से भरपूर भोजन को अपनाकर इस कैंसर से बचाव किया जा सकता है. चूंकि इस कैंसर की स्क्रीनिंग आमतौर पर 45 वर्ष की उम्र के बाद होती है, युवा लोगों को भी अपनी सेहत पर ध्यान देना जरूरी है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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