शरीर में होने वाले छोटे-मोटे बदलाव अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन क्या हो अगर आपका मूड स्विंग या हल्का सिर दर्द किसी बड़ी बीमारी का संकेत हो? ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जब एक शख्स के बार-बार होने वाले मूड स्विंग को डॉक्टर ने डिप्रेशन समझ लिया. पर जब उसकी MRI कराई गई, तो जो सच सामने आया, उसने सबको हैरान कर दिया. ब्रेन में धीरे-धीरे बन रहा था ट्यूमर, जो बिना किसी बड़े लक्षण के अपना असर दिखा रहा था.
डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 64 वर्षीय रिचर्ड वेस्ट ने कोविड लॉकडाइट हटने के बाद अपने स्वभाव में अचानक बदलाव महसूस किया. वह चिड़चिड़े, असामाजिक और भूलने वाले हो गए. डॉक्टरों ने इसे ‘लॉकडाउन डिप्रेशन’ मानकर एंजायटी के लिए दवा दी. लेकिन उनकी हालत तब और बिगड़ गई जब उन्हें ‘साइकोलॉजिकल ब्रेकडाउन’ हुआ. इसके बाद जब MRI कराया गया, तो उनकी रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया. उनकी ब्रेन की लेफ्ट फ्रंटल लोब में 7 सेंटीमीटर का ब्रेन ट्यूमर निकला.
रिचर्ड का यह ट्यूमर मेनिंजियोमा था, जो ब्रेन के प्रोटेक्टिव लेयर में शुरू होता है. यह नॉन-कैंसरस होता है, लेकिन अगर समय पर इलाज न हो, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है. रिचर्ड ने जून 2022 में अपनी सर्जरी करवाई, जिसके बाद उनकी हालत में तुरंत सुधार हुआ. उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद मेरे शरीर के दर्द और जकड़न खत्म हो गए. मैं फिर से चल-फिर सकता था, पढ़ सकता था और बात कर सकता था. ऐसा लगा जैसे मुझे नई जिंदगी मिली हो.
जनवरी 2024 में आया था स्ट्रोकहालांकि, जनवरी 2024 में उन्हें स्ट्रोक हुआ, जिसने उनकी स्थिति और गंभीर बना दी. MRI रिपोर्ट में सामने आया कि उनका ट्यूमर फिर से बढ़ने लगा है. इसके बाद उन्हें छह हफ्ते तक रेडियोथेरेपी से गुजरना पड़ा और अब उनकी नियमित जांच हो रही है. ब्रेन ट्यूमर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, रिचर्ड ने एक म्यूजिक इवेंट आयोजित करने की पहल की है. इससे जुटाए गए धन को ब्रेन ट्यूमर रिसर्च और मेंटल हेल्थ चैरिटी (हेक्टर हाउस) के लिए दान किया जाएगा.
मेनिंजियोमा के लक्षणब्रेन ट्यूमर चैरिटी के अनुसार, मेनिंजियोमा सभी ब्रेन ट्यूमर में से 27 प्रतिशत मामलों में पाया जाता है. हालांकि, यह सामान्य है, लेकिन अगर इसे समय पर इलाज न मिले तो यह घातक साबित हो सकता है. इसके लक्षण सिरदर्द, दृष्टि में बदलाव, सुनने में कमी, दौरे और शरीर के अंगों की कमजोरी हो सकते हैं. रिचर्ड का कहना है कि ब्रेन ट्यूमर न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को बदल देता है. उन्होंने कहा कि यह बीमारी बहुत क्रूर है और लोगों की जिंदगियों को बुरी तरह प्रभावित करती है. यही वजह है कि मैं जागरूकता फैलाने और रिसर्च के लिए फंड जुटाने पर ध्यान दे रहा हूं. अगर इस बीमारी को रोकने के लिए अधिक ज्ञान और समझ होती, तो जीवन इतना दुखदायी नहीं बनता.