अमेरिका में जन्मजात नागरिकता कानूनों में प्रस्तावित बदलाव ने वहां रह रहे भारतीय समेत अन्य प्रवासी परिवारों के बीच चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 फरवरी से प्रभावी होने वाले इस बदलाव के चलते प्रवासी परिवार अपनी महिलाओं को समय से पहले सिजेरियन ऑपरेशन कराने के लिए मजबूर कर रहे हैं, ताकि उनके बच्चों को अमेरिकी नागरिकता मिल सके. विशेषज्ञों ने इस तरीके को बेहद खतरनाक करार दिया है, क्योंकि इससे मां और नवजात, दोनों की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है.
‘पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ की एक्जूटिव डायरेक्टर पूनम मुत्तरेजा ने बताया कि यह तरीका न केवल महिलाओं की सेहत के लिए घातक है, बल्कि नवजात शिशुओं के लिए भी गंभीर खतरे पैदा करती है. उन्होंने कहा कि समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को सांस की समस्या, संक्रमण, विकास संबंधी बाधाएं और व्यवहारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. वहीं, माताओं को संक्रमण, ऑपरेशन से जुड़ी समस्साएं और लॉन्ग-टर्म स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा होता है.
कानून में बदलाव से बढ़ी आशंकामीडिया में आई खबरों के अनुसार, यह स्थिति जन्मजात नागरिकता कानूनों में संभावित बदलावों से उत्पन्न हुई है. इन बदलावों के बाद 20 फरवरी के बाद जन्मे बच्चों की नागरिकता को लेकर अनिश्चितता हो सकती है. ‘ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया’ से जुड़ीं सीमा भास्करन ने कहा कि यह डर महिलाओं को समय से पहले प्रसव कराने जैसे खतरनाक निर्णय लेने पर मजबूर कर रहा है.
डॉक्टर्स ने दी चेतावनीसीके बिड़ला अस्पताल (गुरुग्राम) की डॉ. अंजलि कुमार ने प्रीमैच्योर डिलीवरी के गंभीर परिणामों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति सेहत से जुड़े खतरों को बढ़ा रही है. समय से पहले जन्में बच्चे जीवनभर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ सकते हैं. वहीं, महिलाओं को सर्जरी से जुड़े खतरों और लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
समाज और नीति निर्माताओं की भूमिकाविशेषज्ञों ने इस तरह के खतरनाक निर्णयों को रोकने के लिए प्लान्ड पॉलिसी इंटरवेंशन की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि समाज और सरकार को मिलकर महिलाओं पर पड़ रहे सामाजिक और आर्थिक दबाव को कम करना चाहिए ताकि वे अपनी और अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)