Last Updated:January 25, 2025, 19:24 ISTCM Yogi Adityanath Interview: सीएम योगी आदित्यनाथ का नारा ‘बंटोगे तो कटोगे’ हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों में सफल रहा. उस नारे से भाजपा को चुनावी जीत में फायदा मिला. न्यूज18 को दिए इंटरव्यू में सीएम योगी ने इस …और पढ़ेंसंगम के तट पर सीएम योगी ने न्यूज18 को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है.हाइलाइट्सहरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों में ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारा सुपरहिट रहा.मथुरा में दुर्गादास राठौर की प्रतिमा अनावरण के दौरान नारा आया.सीएम योगी ने ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारे का अर्थ समझाया.प्रयागराज: हरियाणा चुनाव हो या महाराष्ट्र… सीएम योगी का ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारा सुपरहिट रहा. कहते हैं कि इस नारे ने ही चुनाव में कमाल किया. आज सबकी जुबान पर यह नारा है. ‘बंटोगे तो कटोगे’ एक तरह से भाजपा का चुनावी स्लोगन बन चुका है. दिल्ली चुनाव में भी ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ की धमक सुनाई दे रही है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा के लिए ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार कर रहे हैं. दिल्ली में भी जगह-जगह ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के पोस्टर्स दिखाई दे रहे हैं. बहुत से लोग इस नारे का अलग-अलग मतलब निकालते हैं. पर हकीकत शायद ही कोई जानता हो. ऐसे में यह सवाल है कि आखिर सीएम योगी के इस नारे के पीछे का मकसद क्या है, इस स्लोगन का आइडिया उन्हें कहां से आया?
जी हां, अब यह चुनावी नारा ‘कटोगे तो बंटोगे’ डिकोड हो चुका है. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटोगे तो कटोगे’ के पीछे की पूरी कहानी बताई है. न्यूज18 को दिए महाकुंभ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सीएम योगी ने पहली बार खुद से इस नारे का आइडिया समझाया. उन्होंने नेटवर्क18 के ग्रुप एडिटर राहुल जोशी के साथ खास बातचीत में विस्तार से बताया कि उन्हें कब और कैसे इस नारे का आइडिया आया. तो चलिए जानते हैं सीएम योगी की जुबानी, ‘बंटोगे तो कटोगे’ स्लोगन की कहानी.
सवाल: आपने हरियाणा और महाराष्ट्र में एक शनदार जीत की बात की. बहुत बड़ा कमबक रहा और बहुत कनविनसिंग विक्ट्री रही दोनों जगह. महाराष्ट्र में तो बहुत बड़ी जीत रही. आपने एक नारा दिया उन दिनों. बंटोगे तो कटोगे (बंटेंगे तो कटेंगे). तो मैं यह जानना चाह रहा था आपसे कि ये नारा आपको कहां से आया? कैसे सोचा और इसका अर्थ थोड़ा समझाएं.
सीएम योगी: देखिए, मुझे हरियाणा चुनाव के दौरान मथुरा जाने का अवसर प्राप्त हुआ था. रात्रि को मैं मथुरा में था. सुबह मुझे वहां पर आगरा में दुर्गादास राठौर की प्रतिमा का अनावरण करने का अवसर प्राप्त हुआ. दुर्गादास राठौर मध्य काल में एक बहुत प्रतापी सेनापति थे जोधपुर राजा के. तो स्वाभाविक रूप से उस समय दुर्गादास राठौर के बारे में कहा जाता है कि जब जोधपुर के राजा महाराजा जसवंत सिंह को औरंगजेब परास्त नहीं कर पाया. तो उन्होंने दुर्गादास राठौर के साथ समझौता किया. और समझौते में इस बारे में कहा कि आप अफगानों पर हमला करिए, मैं पीछे से आपकी सहायता करूंगा. राजा जसवंत सिंह जी जब अफगानों पर हमला करने के लिए निकले तो इसी में धोखे से औरंगजेब ने पीछे से हमला किया और राजा जसवंत सिंह उस युद्ध में शहीद हो गए. उनका पुत्र अजीत सिंह साथ में था. रानी साथ में थी. जब सेनापति दुर्गादास राठौर ने देखा कि राजा को मारने के बाद अब ये राजकुमार को मारना चाहते हैं तो उन्होंने राजकुमार और रानी को ले जाकर के एक आश्रम में रखा और फिर वहां से उनको दूर लेके चले गए. जब राजकुमार अजीत सिंह बड़े हुए तो उन्होंने फिर जोधपुर का राजा उन्हें बनवाया. 91 वर्ष की उम्र तक दुर्गादास राठौर जोधपुर में रहे. उसके बाद उन्होंने संन्यास लिया और उज्जैन चले गए. वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली. उस पूरी परंपरा (राठौर-तैलीय परंपरा) के प्रति तैलीय जाति से जुड़े हुए जितने भी लोग हैं, आगरा में मूर्ति लगाना चाहते थे लेकिन कुछ लोगों और समुदाय के द्वारा विरोध किया जा रहा था. हम लोगों ने दोनों समुदायों को बुला के बात की. अंतत: समझौता हुआ. फिर मूर्ति स्थापित हुई. उसी में मैंने कहा था कि बंटोगे तो कटोगे. एक रहोगे तो नेक रहोगे. और मैं आभारी हूं कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने एक रहोगे तो सेफ रहोगे के माध्यम से पूरे देश को इसके साथ जोड़ने का संदेश दिया है. और मैं मानता हूं कि महाकुंभ का भी यही संदेश है कि एकता से ही अखंड रहेगा देश. देश अखंड रहेगा तो देश सुरक्षित रहेगा. सनातन धर्म सुरक्षित रहेगा. हम सुरक्षित हैं तो हर जाति, हर मत, हर मजहब, हर सम्प्रदाय, हर पंथ भी सुरक्षित रहेगा और सुरक्षा है तो समृद्धि अपने आप आएगी.’
Location :Delhi,Delhi,DelhiFirst Published :January 25, 2025, 19:24 ISThomeuttar-pradesh’बंटोगे तो कटोगे’ कहां से आया, क्या है पीछे की कहानी? जानिए CM योगी की जुबानी