पुणे में हाल ही में एक खतरनाक और दुर्लभ बीमारी, गुलेइन-बैरे सिंड्रोम (GBS), के मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में कुल 59 लोग इस बीमारी से प्रभावित हो चुके हैं. इन मरीजों की उम्र बच्चों से लेकर 80 साल तक है और इनमें से 12 मरीजों का इलाज वेंटिलेटर पर चल रहा है.
गुलियेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर हमला करने लगता है. यह संक्रमण मुख्य रूप से कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो पेट के संक्रमण के दौरान शरीर में प्रवेश करता है. इस बीमारी के कारण शरीर के हाथ-पैर में कमजोरी, झुनझुनी और यहां तक कि लकवा भी हो सकता है.
पुणे के पूना हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कोठारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि महीने में एक या दो मरीज आना सामान्य बात है, लेकिन एक हफ्ते में 26 मरीजों का आना चिंताजनक है. इसके कारणों की जांच की जानी चाहिए.
कैसे फैलता है यह बैक्टीरिया?कैम्पिलोबैक्टर बैक्टीरिया आमतौर पर संक्रमित मांस, खासकर चिकन और मटन में पाया जाता है. इसका संक्रमण अक्सर अधपके मांस, दूध या संक्रमित पानी के संपर्क में आने से फैलता है. डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि यह बैक्टीरिया पेट में दर्द, दस्त, उल्टी और जी मिचलाने जैसे लक्षण उत्पन्न करता है, जिसके बाद GBS की शुरुआत होती है.
इलाज और रोकथामयह बीमारी गंभीर हो सकती है, लेकिन यदि जल्दी इलाज मिल जाए तो 95 प्रतिशत मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं. डॉ. कुमार ने यह भी कहा कि अगर समय रहते इलाज किया जाए तो मरीजों को पूरी तरह स्वस्थ होने में समय जरूर लगता है, लेकिन उनका जीवन बचाया जा सकता है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि गंदा और संक्रमित पानी भी इस बीमारी के फैलने का एक प्रमुख कारण हो सकता है. इसलिए पुणे में रह रहे लोगों को खाने-पीने के मामलों में अधिक सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.