Jasprit Bumrah: भारत के स्टार गेंदबाज जसप्रीत बुमराह का आगामी चैंपियंस ट्रॉफी में खेलना तय नहीं है. वह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर लगी चोट के बाद मैदान से बाहर हैं. बुमराह ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 151.2 ओवर फेंके थे. 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में 908 गेंद फेंकने के बाद वह चोटिल हो गए. पीठ की समस्या के कारण वह सिडनी टेस्ट की दूसरी पारी में बॉलिंग नहीं कर पाए थे. इस कारण टीम इंडिया टेस्ट मैच के साथ-साथ सीरीज भी हार गई थी. बुमराह के चोटिल होने के बाद से उनके वर्कलोड को लेकर काफी चर्चा हो रही है.
तुलना को बताया बेकार
बुमराह के वर्कलोड को लेकर चल रही बहस के बीच महान भारतीय क्रिकेटर कपिल देव ने अपने बयान से सबका मुंह बंद कर दिया. उन्होंने अलग-अलग युगों के खिलाड़ियों की तुलना को बेकार बताया. प्रोफेशनल गोल्फ टूर ऑफ इंडिया (पीजीटीआई) की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोलते हुए पूर्व भारतीय कप्तान ने अपने खेल के दिनों और आधुनिक क्रिकेट के बीच महत्वपूर्ण अंतरों के बारे में खुलकर बात की.
कपिल देव ने क्या कहा?
कपिल देव ने कहा कि बुमराह के साथ उनकी तुलना नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ”कृपया (बुमराह के साथ मेरी) तुलना न करें. आप एक पीढ़ी की तुलना दूसरी पीढ़ी से नहीं कर सकते. आज के लड़के एक दिन में 300 रन बना लेते हैं, जो हमारे समय में नहीं होता था. इसलिए तुलना मत करो.”
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पूर्व दिग्गज ने वर्कलोड को बताया था बकवास
पूर्व तेज गेंदबाज और 1983 वर्ल्ड कप विनिंग टीम के सदस्य बलविंदर संधू ने बुमराह के वर्कलोड को बकवास बताया था. बलविंदर संधू का मानना है कि उच्चतम स्तर पर एक तेज गेंदबाज के लिए टेस्ट पारी में 15-20 ओवर गेंदबाजी करना कोई बड़ी चुनौती नहीं होनी चाहिए. टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ”वर्कलोड? उन्होंने कितने ओवर फेंके? 150-कुछ, है न? लेकिन कितने मैच या पारी में? पांच मैच या नौ पारी, है न? इसका मतलब है कि हर पारी में 16 ओवर या हर मैच में 30 ओवर और उन्होंने एक बार में 15 से ज्यादा ओवर नहीं फेंके, उन्होंने स्पेल में गेंदबाजी की. तो क्या यह कोई बड़ी बात है? वर्कलोड मैनेजमेंट बकवास है. ये ऑस्ट्रेलियाई शब्द हैं, जिन्हें ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने बनाया है.”
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वर्कलोड से समहत नहीं बलविंदर
बलविंदर संधू ने कहा था, ”हमारे समय में हम रोजाना 25-30 ओवर फेंकते थे. कपिल देव ने अपने पूरे करियर में लंबे स्पैल फेंके. जब आप गेंदबाजी करते हैं, गेंदबाजी करते हैं और गेंदबाजी करते हैं तो आपका शरीर और मांसपेशियां अनुकूलित हो जाती हैं. इसलिए मैं इस वर्कलोड मैनेजमेंट की थ्योरी से सहमत नहीं हूं.”