आधुनिक लाफइस्टाइल और असंतुलित खानपान के कारण आयोडीन की कमी एक बार फिर गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है. डॉक्टरों और विशेषज्ञों के अनुसार, आयोडीन की कमी को ‘साइलेंट किलर’ कहा जा सकता है, क्योंकि इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं और कई बार इसे पहचाना भी नहीं जा पाता. आयोडीन की कमी का सीधा असर थायरॉइड ग्रंथि पर पड़ता है, जिससे शरीर के कई जरूरी काम प्रभावित होते हैं.
आयोडीन शरीर के लिए बेहद जरूरी मिनरल है, जो खासतौर पर थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन में मदद करता है. यदि शरीर में इसकी कमी हो जाए तो थायरॉइड डिसऑर्डर, हाइपोथायरॉइडिज्म, गॉइटर (गलगंड), वजन बढ़ना, थकान और मानसिक विकास में रुकावट जैसे गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों में आयोडीन की कमी विकास में रुकावट और दिमागी विकास पर बुरा असर डाल सकती है.
क्यों बढ़ रही है आयोडीन की कमी?विशेषज्ञों का कहना है कि आयोडीन की कमी के बढ़ने की मुख्य वजह लोगों का असंतुलित खानपान और आयोडीन रिच नमक का कम इस्तेमाल है. एक समय था जब आयोडीन की कमी को खत्म करने के लिए आयोडीन रिच नमक को अनिवार्य किया गया था, लेकिन हाल के सालों में लोग सादा और हिमालयी नमक का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं, जिससे शरीर को जरूरी आयोडीन नहीं मिल पा रहा है.
आयोडीन की कमी के लक्षणडॉक्टरों के अनुसार, आयोडीन की कमी के शुरुआती लक्षणों में थकान, त्वचा का सूखापन, बालों का झड़ना, ठंड सहन न कर पाना और सुस्ती महसूस होना शामिल हैं. यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह समस्या गंभीर हो सकती है.
डॉक्टरों की सलाहविशेषज्ञों ने सलाह दी है कि आयोडीन की कमी को रोकने के लिए लोगों को बैलेंस डाइट अपनाना चाहिए, जिसमें आयोडीन रिच नमक, समुद्री मछली, डेयरी प्रोडक्ट्स और अंडे शामिल हों. इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को खासतौर पर आयोडीन सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.