हाल ही में एक शोध में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि फेफड़ों का ट्रांसप्लांट कराने वाली महिलाओं की पांच साल तक जीवित रहने की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है. यह अध्ययन फ्रांस के नैनटेस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल द्वारा किया गया था, और इसे ईआरजे ओपन रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.
हालांकि, शोध में यह भी पाया गया कि महिलाओं को फेफड़े के ट्रांसप्लांट के लिए प्रतीक्षा सूची में औसतन छह सप्ताह अधिक समय बिताना पड़ता है. इसके साथ ही, महिलाओं के लिए फेफड़े के डोनर मिलने में अधिक समय लगने की समस्या भी सामने आई.
हजारों लोगों पर हुई शोध का खुलासा
शोध में 1,710 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था, जिनमें 802 महिलाएं और 908 पुरुष थे. इन मरीजों का फेफड़े के ट्रांसप्लांट के बाद करीब छह साल तक परीक्षण किया गया. इसमें पाया गया कि महिलाएं ट्रांसप्लांट के बाद पुरुषों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहती हैं. डॉ. एड्रियन टिसॉट, जो इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता हैं, ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण खोज है, क्योंकि यह ट्रांसप्लांट के बाद जीवन प्रत्याशा को समझने में मदद करता है.
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महिलाएं ज्यादा जीवित रहती हैं!
शोध के अनुसार, महिलाओं को ट्रांसप्लांट के लिए औसतन 115 दिन इंतजार करना पड़ता है, जबकि पुरुषों को 73 दिन तक प्रतीक्षा करनी होती है. एक और महत्वपूर्ण पहलू यह था कि महिलाओं के लिए ट्रांसप्लांट के बाद जीवित रहने की दर पुरुषों की तुलना में अधिक थी. पांच साल बाद, 70 प्रतिशत महिला प्राप्तकर्ता जीवित थीं, जबकि पुरुषों में यह दर केवल 61 प्रतिशत थी.
लिंग के आधार पर ट्रांसप्लांट प्रोसेस में अंतर
शोध में यह भी सामने आया कि ट्रांसप्लांट के बाद महिलाओं को अक्सर जेंडर और हाइट के अनुसार अधिक उपयुक्त डोनर मिलते हैं. इस जानकारी से यह पता चलता है कि लिंग के आधार पर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में कुछ अंतर हो सकता है. इसके बावजूद, यह असमानता न केवल इलाज के परिणामों को प्रभावित करती है, बल्कि ट्रांसप्लांट प्रतीक्षा सूची में समृद्धि और समय के संदर्भ में भी असर डालती है.
एजेंसी
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