Heart stop working but doctors did not lose hope save patient life from the jaws of death know the whole story | दिल ने दिया जवाब, लेकिन डॉक्टरों ने नहीं मानी हार! मौत के मुंह से खींच लाए मरीज की जान; जानें पूरा मामला

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Heart stop working but doctors did not lose hope save patient life from the jaws of death know the whole story | दिल ने दिया जवाब, लेकिन डॉक्टरों ने नहीं मानी हार! मौत के मुंह से खींच लाए मरीज की जान; जानें पूरा मामला



मुंबई के ब्रिच कैंडी अस्पताल में 1990 के दशक का एक ऐसा मामला सामने आया जिसने न केवल मेडिकल की दुनिया को चौंकाया बल्कि डॉक्टरों के हौसले और दृढ़ता की मिसाल कायम की. यह कहानी है 51 वर्षीय आईएएस अधिकारी प्रिथ्वीराज मोहन सिंह बायस की, जिनका दिल एक जटिल एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया के दौरान पूरी तरह से काम करना बंद कर चुका था.
एंजियोप्लास्टी के दौरान बायस के दिल ने अचानक धड़कना बंद कर दिया. आधे घंटे तक डॉक्टरों ने कार्डियक मसाज और अन्य प्रयास किए, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ. दो वरिष्ठ सर्जनों ने इसे ‘मामला खत्म’ मानकर ऑपरेशन से इनकार कर दिया. स्थिति इतनी गंभीर थी कि दिल की धड़कन, ब्लड प्रेशर और पल्स सब बंद हो चुके थे.
नए ट्रेंनी डॉक्टर ने दिखाया साहसहाल ही में अमेरिका के क्लीवलैंड क्लिनिक से ट्रेंनी युवा डॉक्टर ने हार मानने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि हर मरीज को जीवन का अधिकार है और यह उनका कर्तव्य है कि वे अंतिम प्रयास करें. उन्होंने बायस के परिवार से बात कर ऑपरेशन की अनुमति मांगी. परिवार ने खतरें के बावजूद डॉक्टर पर भरोसा जताया.
ऑपरेशन थिएटर में जिंदगी की जंगसमय की कमी के चलते डॉक्टर ने केवल 10 मिनट में ऑपरेशन की तैयारी की. दिल पूरी तरह से निष्क्रिय था, इसलिए मैन्युअली दिल को निचोड़कर खून के फ्लो बनाए रखा गया. 40 मिनट के भीतर बायस को हार्ट-लंग मशीन पर जोड़कर ब्लॉकेज हटाने के लिए बायपास सर्जरी की गई. यह प्रक्रिया उस समय भारत में नई थी और इसे अंजाम देने वाले डॉक्टरों की संख्या बहुत कम थी.
तीन महीने की देखभाल और नया जीवनऑपरेशन के बाद बायस की स्थिति गंभीर रही. उनके किडनी और लिवर ने भी काम करना बंद कर दिया था, लेकिन तीन महीने की गहन देखभाल के बाद वे पूरी तरह ठीक हो गए. आज, तीन दशक बाद, बायस न केवल हेल्दी जीवन जी रहे हैं, बल्कि अपने परिवार के साथ खुशहाल जिंदगी बिता रहे हैं.
डॉक्टरों के जज्बे को सलामइस घटना ने मेडिकल जगत में डॉक्टरों की दृढ़ता और समर्पण की मिसाल पेश की. इस ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने 5 हजार से अधिक कॉम्प्लिकेटेड मामलों में सफलता हासिल की. यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि सही समय पर सही निर्णय किसी की जिंदगी बदल सकता है.



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