अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बने राम मंदिर को और मजबूत किए जाने की कवायद अभी तक जारी है. अयोध्या का राम मंदिर हजारों वर्ष तक कैसे सुरक्षित रहे. इसको लेकर अब वैज्ञानिक भी ग्राउंड जीरो पर उतर चुके हैं. भगवान राम की नगरी में आज इसरो के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर एस वेंकटेश्वर शर्मा पहुंचे. जहां उन्होंने हनुमानगढ़ी और राम मंदिर में दर्शन पूजन किया.
इसरो के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सरयु आरती में हुए शामिल
वहीं, पूर्व डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर एस वेंकटेश्वर शर्मा सरयु नदी में होने वाली आरती में भी भाग लेने पहुंचे. अयोध्या पहुंचे इसरो के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर ने राम जन्मभूमि परिसर में राम मंदिर निर्माण कार्य में लगी कार्यदायी संस्था से मंदिर निर्माण की प्रगति और मंदिर निर्माण में आ रही बाधा पर चर्चा की.
मंदिर निर्माण को लेकर हुई चर्चा
बता दें कि अयोध्या में राम लला के मंदिर की आयु लंबी और सुरक्षित रहे. किस तकनीकी से मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. इस पर विस्तार से वैज्ञानिक चर्चा हुई. अब मंदिर की आयु लंबी, संरक्षित और सुरक्षित हो. इसको लेकर प्रयास किया जा रहा है. शायद यही वजह है कि आज इसरो के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर अयोध्या पहुंचे और उन्होंने मंदिर निर्माण की प्रगति की जानकारी ली और मंदिर निर्माण के दरमियां मंदिर को मजबूती प्रदान करने वाले तकनीकी पर चर्चा किया.
काम करने वाली कंपनियों से की चर्चा
अयोध्या पहुंचे इसरो के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एस वेंकटेश्वर शर्मा ने कहा कि अयोध्या आकर राम मंदिर निर्माण के तकनीकी और कैसे मंदिर बन रहा है. इसको देखने की उनकी उत्सुकता थी. राम मंदिर का फाउंडेशन कंस्ट्रक्शन को वह देखना चाहते थे. राम मंदिर निर्माण में लार्सन ऐंड टुब्रो तथा टाटा कंसल्टेंसी कैसे कम कर रही हैं. जहां कंपनियों से इसकी जानकारी ली.
कार्रदाई संस्था के साथ की निर्माण पर मीटिंग
अयोध्या पहुंचे इसरो के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ने कहा कि राम मंदिर परिसर में कार्यदायी संस्था के साथ मीटिंग की है. कार्यदायी संस्था ने उन्हें निर्माण की तकनीकी और चैलेंज की जानकारी दी है. पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ने कहा कि मंदिर की फिनिशिंग कैसे होगी. मंदिर निर्माण के बाद कैसा दिखेगा रामलला का भव्य मंदिर, निर्माण में क्या-क्या तकनीकी का प्रयोग किया गया है. इसमें क्या-क्या चैलेंज थे? इस सब पर विस्तार से चर्चा हुई है.
पूर्व डिप्टी डायरेक्टर एस वेंकटेश्वर शर्मा ने कहा कि राम मंदिर का जियोलॉजिकल सर्वे और सैटेलाइट मैपिंग के जरिए सर्वे किया जाएगा. जमीन की स्ट्रेंथ क्या है, उसका सर्वेक्षण होगा. पर्यावरण की कंडीशन क्या है? पर्यावरण का संरक्षण कैसे किया जा सकता है. साथ ही भूमि के अंदर गहराई में क्या है. इस सब की जानकारी राम मंदिर ट्रस्ट को दी जाएगी. ताकि मंदिर की आयु लंबी रहे और उसको तकनीकी तौर पर मजबूत रखा जा सके.
1 साल में पूरा होगा मंदिर का निर्माण
साथ ही राम मंदिर का फाउंडेशन कैसा है, कैसे निर्माण कार्य हो रहा है. इसकी बारीकी से उन्हें जानकारी दी गई है. बता दें कि मंदिर निर्माण 2020 में शुरू हुआ था. मंदिर निर्माण में अभी 1 साल और लगेंगे. इन 4 सालों में मंदिर निर्माण में क्या-क्या निर्माण हुआ और किन-किन जगहों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. इसको लेकर जानकारी दी गई है.
मंदिर निर्माण में करेंगे हर संभव मदद
पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि आगे मंदिर परिसर में और भी कार्य होने जा रहे हैं. आगामी कार्यों में क्या चैलेंज है. इस पर चर्चा हुई. हमारे यहां से मंदिर निर्माण में जितनी भी मदद होगी, हम करेंगे. इसके लिए हम पूर्ण रूप से तैयार हैं. हम अपने डिपार्टमेंट से पूर्ण सहयोग करेंगे.
वहीं, रामलला के जन्मोत्सव के मौके पर सूर्य की किरण भगवान राम के ललाट पर पड़े. इसको लेकर उन्होंने तकनीकी का प्रयोग बताते हुए कहा कि यह कब-कब होगा. इस पर आखिरी निर्णय भारत सरकार तय करेगी और कैसे उसको सार्वजनिक किया जाए. यह भी राम मंदिर ट्रस्ट और भारत सरकार का विषय है.
इसरो के पूर्व प्रमुख एस वेंकटेश्वर शर्मा ने कहा कि वह एक राकेट साइंटिस्ट हूं. मैंने सैटेलाइट क्षेत्र में कार्य किए हैं. 120 सेटेलाइट उन्होंने लॉन्च किया है, जिसमें प्रमुख रूप से चंद्रयान मंगलयान सूर्ययान यह हमारा वैज्ञानिक जीवन है. भगवान से अपने सफलता और अपने आर्गेनाइजेशन की सफलता के लिए आशीर्वाद मांगा है.
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