खेती-किसानी में भी होने लगा AI का इस्तेमाल, एडवांस तकनीक कर रही काम आसान, कमाई भी दोगुनी

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खेती-किसानी में भी होने लगा AI का इस्तेमाल, एडवांस तकनीक कर रही काम आसान, कमाई भी दोगुनी

कुशीनगर: हमारे कृषि प्रधान देश में तमाम ऐसी तकनीकें विकसित हुई हैं जिनसे न केवल खेती- किसानी सरल हुई है बल्कि पैदावार में भी वृद्धि हुई है. किसी भी फसल को उगाने के बाद सबसे बड़ी समस्या फर्टिलाइजर या पेस्टीसाइड के छिड़काव की होती है. उर्वरक या पेस्टीसाइड के खेतों में छिड़काव के लिए किसान को बहुत मेहनत करना पड़ती है. हालांकि अब इसका भी शॉर्टकट निकल आया है. इस तकनीक के प्रयोग से न केवल ये काम आसान हो गया है बल्कि ज्यादा बेहतर तरीके से होने लगा है जिससे पैदावार अच्छी होती है.AI का इस्तेमालकिसानों की इस समस्या को दूर करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने एक तरीका खोज निकाला है. कृषि वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि कि AI तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एक ड्रोन का प्रयोग शुरू किया है. इससे लिक्विड फर्टिलाइजर या पेस्टीसाइड का खेतों में छिड़काव किया जा सकता है. इस ड्रोन का प्रयोग करके किसान अपना समय तो बचा ही सकते हैं साथ ही साथ पौधों को समान रूप से फर्टिलाइजर मिल जाता है. हाथ से छिड़काव करने की तुलना में ये विधि ज्यादा कारगार और रिजल्ट देने वाली है.दी जा रही है ट्रेनिंगइस ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए इफको द्वारा किसानों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है. किसान अपने खेत की मेड़ पर खड़े होकर पूरे खेत में छिड़काव कर सकते हैं. सरकार के कृषि विभाग से संबंधित डीजीसीए ने ड्रोन चलाने के लिए कुछ महिलाओं और पुरुषों को प्रशिक्षित किया है जो किसानों के बुलाने पर इलेक्ट्रिक वाहन से ड्रोन लेकर उनके खेतों में पहुंचकर लिक्विड फर्टिलाइजर या पेस्टीसाइड का छिड़काव करते हैं.सबसे बड़ी बात यह है कि एक एकड़ में फर्टिलाइजर के छिड़काव के लिए महज 300 सौ रुपए का खर्च आता है और किसान का समय भी बचता है. लोकल 18 से बातचीत में इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक राजकुमार ने बताया कि खेतों में फर्टिलाइजर या पेस्टीसाइड के छिड़काव के लिए ड्रोन का प्रयोग करके किसान अपना समय और लगत दोनों बचा सकते हैं.FIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 09:44 IST

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