Zakir Hussain died from incurable lung disease that causes lungs to scar thicken who is at risk | Zakir Hussain को थी फेफड़े का चिथड़ा उड़ा देने वाली ये भयंकर बीमारी, नहीं कोई इलाज, आप तो नहीं रिस्क में? जानें

admin

Zakir Hussain died from incurable lung disease that causes lungs to scar thicken who is at risk | Zakir Hussain को थी फेफड़े का चिथड़ा उड़ा देने वाली ये भयंकर बीमारी, नहीं कोई इलाज, आप तो नहीं रिस्क में? जानें



Zakir Hussain Death Reason: दुनियाभर में तबला वादन के लिए मशहूर उस्ताद जाकिर हुसैन ने 73 साल की उम्र में आखिरी सांसें लीं. कई दिनों से वह अमेरिकन अस्पताल में एडमिट थे, जहां 15 दिसंबर को इलाज के दौरान उनका निधन हो गया.
रिपोर्ट के अनुसार, जाकिर हुसैन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) नामक एक क्रॉनिक लंग्स डिजीज से जूझ रहे थे, जो लाइलाज होने के साथ हार्ट अटैक, स्ट्रोक, कैंसर के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाना जाता है. बता दें कि कुछ समय पहले उस्ताद को हार्ट ब्लॉकेज के कारण स्टेंट भी लगाया गया था. आईपीएफ के बारे में डिटेल में पढ़ सकते हैं.
क्या है इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस?
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) फेफड़ों में होने वाली एक गंभीर लाइलाज बीमारी है, जो फेफड़ों में धीरे-धीरे फाइब्रोसिस का कारण बनता है. इडियोपैथिक शब्द का मतलब है कि इस बीमारी के कारण का पता नहीं चल पाता. इसके कारण फेफड़े मोटे, सख्त और घाव से भर जाते हैं.
इसे भी पढ़ें- दिल में लगा था स्टेंट, इस जानलेवा बीमारी से जूझ रहे तबला उस्ताद जाकिर हुसैन
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लक्षण
– लगातार खांसी जो लंबे समय तक बनी रहती है- सांस लेने में कठिनाई- थकान और कमजोरी, मतली- वजन में कमी- छाती में दबाव और दर्द
इलाज के विकल्प
इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए दवाइयां, ऑक्सीजन थेरेपी और गंभीर मामलों में लंग्स ट्रांसप्लांट विकल्प होता है.
IPF रिस्क फैक्टर  
यह रोग आमतौर पर 50 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों में अधिक होता है. प्रदूषण में रहने वाले, धूम्रपान करने वाले लोगों में IPF का खतरा अधिक होता है. इसके साथ ही कुछ जीन परिवर्तन भी इस बीमारी के जोखिम को बढ़ाते हैं 
कितना जीते हैं इस बीमारी वाले मरीज
एनआईएच की रिपोर्ट के मुताबिक, यह बीमारी हर बीतते समय के साथ बढ़ती है, ऐसे में अधिकांश लोग 3-5 साल के भीतर गंभीर लक्षणों का सामना करते हैं, जिसे मौत भी हो जाती है. हालांकि कुछ मामलों में, जीवन सीमा 10 साल तक बढ़ सकती है यदि सही उपचार दिया जाए और जीवनशैली में बदलाव किए जाएं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 



Source link