Brutal Murder Case Solved: कुछ दिनों पहले फाइलों के अंबार में दबी एक ऐसी फाइल दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के हाथ लगी, जिसकी एफआईआर पढ़ने के बाद हर किसी के रोंगेटे खड़े हो गए. यह फाइल करीब 14 साल पहले हुई एक ऐसी हत्या के केस से जुड़ी थी, जिसमें एक युवती को दिनहहाड़े जिंदा जला दिया गया था. हत्या की इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए और इसके बाद उनका कहीं कुछ पता नहीं चला.
गोकुल थाना पुलिस ने लंबे समय तक इस हत्याकांड के आरोपियों की तलाश की, लेकिन उनके हाथों कुछ नहीं लगा. आखिर में, इस केस की फाइल को दूसरी अनसॉल्ड केसों की फाइलों के साथ रिकॉर्ड रूम में फेंक दिया गया. 14 साल बाद यह फाइल अचानक क्राइम ब्रांच के हाथ लग गई. इस फाइल में दर्ज दिलदहला देने वाली इबारत को पढ़ने के बाद क्राइम ब्रांच ने तय कर लिया कि किसी भी कीमत में वह इस मामले को सॉल्व करके ही रहेंगे.
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स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस देवेश श्रीवास्तव ने बताया कि मामले की जांच के लिए एडिशनल सीपी संजय भाटिया और डीसीपी विक्रम सिंह की देखरेख में एक टीम का गठन किया गया. इस टीम में एसीपी रोहिताश कुमार, इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह, एसआई गवर्नर सिंह, संजय त्यागी, एएसआई विनय त्यागी, अजय कुमार, हेडकॉन्स्टेबल अजय मावी, मेहताब सिंह, शिवराम, मोहित कुमार, राम सिंह, कांस्टेबल दीपक और महिला कॉन्स्टेबल अनु्प्रिया भी शामिल थीं.
मामले की तफ्तीश में पता चला कि मूल रूप से पश्चिम बंगाल के आसनसोल की रहने वाली रोशनआरा उत्तर-पश्चिम दिल्ली के गोकुलपुरी इलाके में रह रही थी. 2010 में रोशन आरा को उसके ही घर में जिंदा जला दिया था. इस वारदात को अंजाम देने वालों की पहचान मुस्तफा, मासूमा और जरार खान के तौर पर की गई थी. हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों फरार हो गए थे. लंबी कवायद के बावजूद जब तीनों आरोपियों का कहीं कुछ पता नहीं चला, तो तीनों को भगोड़ा घोषित 50-50 हजार का ईनाम घोषित कर दिया गया.
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स्पेशल सीपी देवेश श्रीवास्तव ने बताया कि करीब डेढ़ दशक से अनसुलझी गुत्थी को सुलझाने के लिए क्राइम ब्रांच की टीम ने पहले आरोपियों के रिश्तेदारों की पहचान की और फिर उनके संबंधित जानकारियां जुटाना शुरू किया गया. इनकी कॉल डिटेल के साथ-साथ सोशल मीडिया एकाउंट्स भी खंगालना शुरू किए गए. इस कवायद के दौरान, पुलिस के हाथों कुछ मोबाइल नंबर लगे और इन मोबाइल नंबरों की मदद से पुलिस के हाथों एक कस्टमर अप्लीकेशन लग गया, जिसमें मुस्तफा की फोटो लगी हुई थी.
इस अप्लीकेशन में फोटो तो मुस्तफा की थी, लेकिन नाम-पता सहित अन्य सभी जानकारियां बदली हुईं थीं. अप्लीकेशन में दर्ज जानकारियों की पड़ताल पर पता चला कि आरोपियों ने ना केवल अपनी पहचान बदल ली है, बल्कि नई पहचान की मदद से नए मोबाइल नंबर भी हासिल कर लिए हैं. पड़ताल में यह भी पता चला कि इनमें से एक मोबाइल जमशेदपुर (झारखंड) तो दूसरा आसनसोन (पश्चिम बंगाल) में सक्रिए है. इस जानकारी के साथ क्राइम ब्रांच की दो टीमों को दोनों दिशाओं में रवाना कर दिया गया.
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करीब 36 घंटे की लगातार कोशिशों को बाद क्राइम ब्रांच ने मुस्तफा को जमशेदपुर से खोज निकाला. मुस्तफा जमशेदपुर में अब्दुल करीम के नाम से रह रहा था. मुस्तफा उर्फ अब्दुल करीम को 11 दिसंबर की सुबह करीब 5:30 बजे जमशेदपुर से गिरफ्तार कर लिया गया. मुस्तफा से पूछताछ में पता चला कि केस की दूसरी आरोपी मासूमा भी जमशेदपुर में छिपी हुई है. मुस्तफा की निशानदेही पर क्राइम ब्रांच ने आजाद नगर और जाकिर नगर में छापेमारी की और मासूमा को भी गिरफ्तार कर लिया.
मासूमा यहां रेशमा हाफिज के नाम से छिपी हुई थी. मुस्तफा उर्फ अब्दुल करीम और मासूमा उर्फ रेशमा हफीज को गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों से पूछताछ मे पता चला कि तीसरा आरोपी जरार खान गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) के खोड़ा कालोनी में रह रहा है. जिसके बाद, क्राइम ब्रांच की तीसरी टीम ने छापेमारी कर सुबह करीब नौ बजे जरार खान को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में यह भी पता चला कि आरोपी जरार खान दूसरी आरोपी मासूमा का पिता है. इस तरह क्राइम ब्रांच ने 1.5 लाख रुपए के ईनामी तीनों अपराधियों को गिरफ्तार कर 14 साल पुराने इस मामले का पटाक्षेप कर दिया.
Tags: Crime Branch, Crime News, Delhi news, Delhi police, Ghaziabad News, Jamshedpur newsFIRST PUBLISHED : December 14, 2024, 15:45 IST