नई दिल्ली : कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही के बीच स्थगन नोटिस पेश कर दिया. उन्होंने नियम 267 के तहत स्थगन नोटिस दिया. इस सत्र में उन्होंने ऐसा पहली बार नहीं किया है. इससे पहले भी वे नोटिस दे चुके हैं. आखिर इस नोटिस के जरिये वह उच्च सदन में क्या बात रखना चाहते थे, ये सभी सदस्यों को जानने की उत्सुकता भी थी. आइये जानते हैं उन्होंने ऐसा क्यों किया?
दरअसल, सांसद ने राज्यसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम 267 (नियमों के निलंबन के लिए प्रस्ताव की सूचना) के तहत यह नोटिस दिया. उन्होंने अपने नोटिस में कहा कि संभल से लेकर रतलाम तक में लगातार मुस्लिमों के खिलाफ हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं. जिस पर चर्चा कराना मौजूदा समय की मांग है. उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के आनुषंगिक संगठन मुस्लिमों पर अत्यचार कर रहे हैं. सांसद ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान की शपथ लेने वाली सरकारें भी इस मामले में मौन साधे हुई है.
इससे पहले 2 दिसंबर को भी सांसद ने अजमेर शरीफ दरगाह याचिका के मुद्दे पर राज्यसभा में बिजनेस सस्पेंशन नोटिस दिया था, जिसमें उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा का भी हवाला दिया गया था.
सांसद ने नोटिस देते हुए कहा था कि अजमेर शरीफ दरगाह भारत की समग्र संस्कृति और विरासत का एक अभिन्न अंग है. हालांकि, इसकी ऐतिहासिक पहचान पर सवाल उठाने वाली एक हालिया याचिका ने नागरिकों को चिंतित कर दिया है. यह घटनाक्रम उत्तर प्रदेश के संभल में हुई दुखद घटनाओं की पृष्ठभूमि में हुआ है, जहां हिंसा के कारण कई बहुमूल्य जानें गईं और व्यापक अशांति फैली.
उन्होंने नोटिस में आगे कहा कि ऐसी घटनाएं बढ़ते तनाव के परेशान करने वाले पैटर्न का हिस्सा हैं जो सामाजिक सद्भाव को कम करती हैं. उन्होंने कहा कि “धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय मतभेदों से ऊपर उठकर सभी भारतीयों के बीच सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देना न केवल प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है, बल्कि भारत की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है.”
Tags: Congress, Parliament news, Parliament sessionFIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 11:51 IST