पीरियड्स के दौरान दर्द की समस्या महिलाओं में बहुत आम है. इसकी गंभीरता हर महिला में अलग-अलग हो सकता है. लेकिन हाल ही में दर्द की गंभीरता को लेकर एक दिलचस्प खुलासा हुआ है, जो कि मेंटल हेल्थ में गड़बड़ी की ओर इशारा करता है.
हाल ही में एक स्टडी ने यह खुलासा किया है कि डिप्रेशन पीरियड्स के दर्द का कारण हो सकता है. शोधकर्ताओं ने ऐसे संभावित जीनों की पहचान की है, जो इस समस्या को जोड़ सकते हैं, और उनका मानना है कि यह स्टडी मानसिक स्वास्थ्य और प्रजनन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता को दर्शाता है.
पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा डिप्रेशन में
अवसाद के कारण महिलाओं में पीरियड्स के दर्द का खतरा बढ़ सकता है, खासकर प्रजनन उम्र के दौरान. एक अध्ययन में यह पाया गया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अवसाद से दोगुना प्रभावित होती हैं. इस स्टडी को ब्रिफिंग्स इन बायोइनफॉर्मेटिक्स जर्नल में प्रकाशित किया गया है, जिसमें चीन और यूके के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर जानकारी दी है.
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डिप्रेशन और पीरियड्स पेन का कनेक्शन
शोध में प्रमुख लेखक और चीन के शियान जियातोंग-लिवरपूल यूनिवर्सिटी (XJTLU) के पीएचडी छात्र शुहे लियू ने कहा, “हमारे निष्कर्षों से यह प्रारंभिक प्रमाण मिलता है कि अवसाद पीरियड्स के दर्द (डिसमेनोरिया) का कारण हो सकता है, न कि इसके परिणामस्वरूप. हमने यह नहीं पाया कि पीरियड्स का दर्द अवसाद के जोखिम को बढ़ाता है.” लियू ने कहा, “हमने पाया कि नींद की समस्याएं पीरियड्स के दर्द को बढ़ा सकती हैं, इसलिए नींद की समस्याओं का इलाज करना इन दोनों स्थितियों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण हो सकता है.”
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मानसिक स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग की आवश्यकता
शोधकर्ताओं ने यह भी सुझाव दिया है कि महिलाओं को जिनके पीरियड्स के दर्द की समस्या गंभीर हो, उन्हें मानसिक स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग करानी चाहिए. इस तरह के एक समग्र दृष्टिकोण से दोनों स्थितियों के इलाज में मदद मिल सकती है. हालांकि, इस विषय पर और अधिक शोध की आवश्यकता है ताकि इन जटिल रिश्तों को बेहतर तरीके से समझा जा सके.