दक्षिण-पूर्व एशिया में डायबिटीज के कारण हर साल 4.82 लाख से अधिक मौतें हो रही हैं, जिसमें भारत भी शामिल है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को इसका खुलासा करते हुए ब्लड शुगर से संबंधित इस गंभीर समस्या को रोकने और नियंत्रित करने के उपायों को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, डायबिटीज एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जिससे अंधापन, किडनी फेल होना, दिल का दौरा, और स्ट्रोक जैसी जानलेवा समस्याएं पैदा हो सकती हैं. हालांकि, क्षेत्रीय देशों ने इसके इलाज में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन इसके बावजूद इस समस्या से निपटने के लिए कई चुनौतियां बाकी हैं.
डायबिटीज के मामले
डब्ल्यूएचओ ने बताया कि जून 2024 तक, 6 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल पर आ चुके हैं, और यह संख्या 2025 तक 10 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. इसके बावजूद, टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित 2.6 लाख से अधिक बच्चों और किशोरों को इंसुलिन और मॉनिटरिंग की पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पा रही है. इसके अलावा, टाइप-2 डायबिटीज का प्रकोप भी युवाओं में बढ़ता जा रहा है.
डब्ल्यूएचओ का ‘कोलंबो कॉल टू एक्शन
सायमा वाजेद, डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि “डायबिटीज के इलाज की समय पर सुविधा उपलब्ध कराना जान बचा सकता है.” उन्होंने सेवाओं को समान, समग्र, सुलभ और किफायती बनाने की बात की. श्रीलंका के कोलंबो में आयोजित “वर्ल्ड डायबिटीज डे 2024” की दो दिवसीय क्षेत्रीय बैठक में उन्होंने यह बयान दिया. इस साल की थीम थी, ‘बाधाएं तोड़ें, अंतर भरें.’ स्वास्थ्य विशेषज्ञों और अधिकारियों ने मिलकर “कोलंबो कॉल टू एक्शन” अपनाया, जिसमें सदस्य देशों से एकजुट होकर काम करने, नवाचार लाने, इलाज सुनिश्चित करने और लोगों को जागरूक करने की अपील की गई.
डायबिटीज का समय पर इलाज जरूरी
डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर-जनरल, डॉ. टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस ने अपने वीडियो संदेश में कहा, “डायबिटीज से पीड़ित 80 करोड़ लोगों में से आधे से अधिक को इलाज नहीं मिल रहा है.” उन्होंने इसे रोकने, सही समय पर पहचानने और बेहतर इलाज के लिए प्रयास तेज करने की आवश्यकता पर बल दिया. डब्ल्यूएचओ ने यह भी सुझाव दिया कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मानक इलाज प्रक्रिया, आवश्यक दवाइयां, अच्छे जांच उपकरण और कुशल स्वास्थ्यकर्मियों से लैस किया जाए, ताकि डायबिटीज के मामलों का समय पर उपचार किया जा सके.
सरकारों और समाज की साझा जिम्मेदारी
सायमा वाजेद ने यह भी कहा कि “डायबिटीज को रोकना सरकारों, स्वास्थ्य सेवाओं और समाज की साझा जिम्मेदारी है.” डायबिटीज के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि इसे रोका जा सके और इसके प्रभाव को कम किया जा सके. सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों को डायबिटीज के इलाज के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, जागरूकता और किफायती इलाज सुनिश्चित करना होगा.
-एजेंसी-