पर्थ की मुश्किल पिच पर यशस्वी जायसवाल ने शतक जड़कर पूरी दुनिया को ये बता दिया कि वह वर्ल्ड क्लास बल्लेबाज हैं. यशस्वी जायसवाल ने 297 गेंदों पर 161 रन बनाए. यशस्वी जायसवाल ने इस दौरान 54.21 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करते हुए 15 चौके और 3 छक्के ठोक दिए. भारत के पूर्व कोच ग्रेग चैपल का मानना है कि यशस्वी जायसवाल में सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली की महानता को आगे ले जाने का माद्दा है.
सचिन-विराट के बाद अगला सुपरस्टार बनेगा ये भारतीय
‘सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड’ के लिए अपने कॉलम में ग्रेग चैपल ने कहा कि वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ टेस्ट में 161 रन की पारी खेलने वाले यशस्वी जायसवाल से काफी प्रभावित हैं. भारत ने पहला टेस्ट 295 रन से जीता. ग्रेग चैपल ने लिखा ,‘यह युवा सलामी बल्लेबाज निर्भीक है और सचिन तेंदुलकर तथा विराट कोहली की तरह उत्कृष्ट बल्लेबाजी की विरासत को आगे ले जा सकता है.’
ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज की बड़ी भविष्यवाणी
साल 2005 से 2007 के बीच भारत के कोच रहे ग्रेग चैपल ने पारंपरिक प्रारूप में युवाओं को तैयार करने में भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड की रणनीति में भारी अंतर को भी रेखांकित किया. ग्रेग चैपल ने कहा,‘जायसवाल का सफर दिखाता है कि भारत की रणनीति और बुनियादी ढांचे ने कैसे विश्व क्रिकेट में उसका दबदबा बनाया है. भारत के लिए खेलने का सपना पूरा करने के लिए उसे सर्वश्रेष्ठ प्रतिस्पर्धाओं की तलाश में दस साल की उम्र में यह युवा बल्लेबाज मुंबई आया था.’
जायसवाल और मैकस्वीनी में अंतर
ग्रेग चैपल ने लिखा,‘भारतीय अंतिम एकादश में जगह बनाना कितना मुश्किल है , यह देखते हुए उसकी प्रतिबद्धता गजब की है. भारत में इतने सारे खिलाड़ी हैं जो टेस्ट क्रिकेट खेल सकते हैं, लेकिन कइयों को प्रदेश की टीम में भी मौका नहीं मिलता. ऑस्ट्रेलिया के नाथन मैकस्वीनी से तुलना कर लीजिए. 22 साल के जायसवाल ने 14 टेस्ट, 30 फर्स्ट क्लास मैच, 32 लिस्ट ए मैच और 53 आईपीएल मैच खेल लिए हैं. वहीं, 25 साल के मैकस्वीनी ने डेब्यू टेस्ट खेलने के अलावा 34 फर्स्ट क्लास, 22 लिस्ट ए और 18 टी20 मैच खेले हैं.’
राहुल द्रविड़ की भी तारीफ की
ग्रेग चैपल ने राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के पूर्व प्रमुख और चैपल के रहते भारत के कप्तान रहे राहुल द्रविड़ की भी तारीफ की. उन्होंने कहा,‘भारत में दीर्घकालिन रणनीति को देखते हुए राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन में युवा स्तर पर क्रिकेट को तरजीह दी गई. इससे खिलाड़ियों को खेल की बारीकियों को समझने का मौका मिला. वहीं ऑस्ट्रेलिया में युवा क्रिकेटरों के लिए उतने मौके नहीं है और प्रतिस्पर्धा की बजाय स्कूल को तरजीह दी जाती है.’
सरफराज खान से पूछा सवाल
ग्रेग चैपल ने लिखा,‘मैंने एक बार युवा सरफराज खान से पूछा कि स्कूल और खेल में संतुलन कैसे बनाते हो तो उस समय 16 साल के सरफराज ने कहा कि वह स्कूल नहीं जाता. उसने कहा कि स्कूल बाद में भी जा सकता है लेकिन क्रिकेट खेलने का मौका बार बार नहीं मिलता.’