गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल की है. यूनिवर्सिटी के प्राणि विज्ञान विभाग में एक ऐसा डिवाइस तैयार किया गया है जो गोभी और पत्ता गोभी जैसी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले डायमंड बैक मोथ जैसे खतरनाक कीटों से निपटने में मदद करेगा.
कीट नियंत्रण में गेम चेंजर, पेस्ट संवर्धन चैंबरडिवाइस को शोध छात्रा ताहिर अंसारी ने सहायक आचार्य डॉ. सुशील कुमार के मार्गदर्शन में विकसित किया है. इसे ‘पेस्ट संवर्धन चैंबर’ नाम दिया गया है. यह चैंबर कीटों के जीवन चक्र और उनकी रोकथाम के प्रभावी तरीके खोजने में सहायक होगा.
डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि जब फसलों पर कीटों का प्रकोप होता है तो संक्रमित पौधों और कीटों को इस चैंबर में रखा जाता है. यह चैंबर प्राकृतिक वातावरण प्रदान करता है जिसमें कीट अंडे देते हैं और लार्वा विकसित होते हैं. इसके बाद इन लार्वा का उपयोग प्रभावी कीटनाशकों की पहचान के लिए किया जाता है.
पर्यावरण के अनुकूल और सस्ती है तकनीकयह डिवाइस कम लागत पर तैयार किया जा सकता है. इसके निर्माण में लकड़ी और पारदर्शी प्लास्टिक जाल जैसी साधारण सामग्री का इस्तेमाल हुआ है. डिवाइस का डिज़ाइन ऐसा है कि प्राकृतिक रोशनी और हवा का प्रवाह सुनिश्चित होता है, जिससे कीटों के लिए अनुकूल वातावरण बनता है.
किसानों के लिए बड़ी राहतयूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस उपलब्धि पर शोधकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि यह डिवाइस न केवल फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि किसानों को कीट नियंत्रण पर खर्च घटाने में भी सहायक साबित होगा.
गोरखपुर की वैज्ञानिक उपलब्धियह नवाचार न केवल गोरखपुर को कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में एक नई पहचान देगा बल्कि जैविक कीट नियंत्रण के लिए टिकाऊ समाधान भी प्रदान करेगा. इस डिवाइस के जरिए कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग को कम करके फसलों की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकेगा.
Tags: Gorakhpur news, Gorakhpur news updates, Local18FIRST PUBLISHED : November 21, 2024, 22:16 IST