दिल्ली की जहरीली हवा इस मौसम में अपने सबसे खतरनाक लेवल पर पहुंच गई है. घने स्मॉग और प्रदूषण के बीच, 450+ एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) के प्रभावों से निपटना हर दिल्लीवासी के लिए चुनौती बन गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषित हवा में केवल 1 घंटे का एक्सपोजर भी आपकी सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, पीएम2.5 और पीएम10 जैसे सूक्ष्म कण श्वसन तंत्र में जाकर फेफड़ों में सूजन पैदा करते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है. ऐसे हालात में अस्थमा और सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीजों की स्थिति और खराब हो सकती है.
पीएसआरआई संस्थान के पल्मोनरी विशेषज्ञ डॉ. जी.सी. खिलनानी बताते हैं कि हाल ही में उनके ओपीडी में पांच मरीज ऐसे आए, जिनमें खांसी, गले में खराश, छाती में जकड़न, नाक बहना और सांस फूलने की शिकायत थी. ये लक्षण 4-5 दिनों तक रहे, और सामान्य दवाओं से राहत नहीं मिली.
दिल और दिमाग पर असरमेदांता अस्पताल के लंग्स एक्सपर्ट डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं कि सूक्ष्म कण न केवल फेफड़ों बल्कि दिल और दिमाग जैसे अन्य अंगों को भी प्रभावित करते हैं. बच्चों में अस्थमा, निमोनिया और एलर्जी जैसे बीमारी तेजी से बढ़ रहे हैं, जबकि बुजुर्गों में निमोनिया और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है.
लंबे समय तक रहने वाले प्रभावविश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्रदूषित हवा में लंबे समय तक सांस लेने से फेफड़ों का कैंसर, दिल की बीमारी और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है.
बचाव के उपाय* घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें.* बाहर जाने पर एन95 मास्क पहनें.* ज्यादा पानी पिएं और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन करें.* सुबह और शाम के समय बाहर जाने से बचें, जब प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक होता है.
दिल्ली की हवा से बढ़ते स्वास्थ्य खतरों को देखते हुए, समय रहते सतर्कता और बचाव के उपाय अपनाना बेहद जरूरी है. आपकी सावधानी ही आपकी सेहत की गारंटी है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.