Air Pollution is causing irritation and inflammation in the heart of people suffering from heart disease be alert | रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा, इस बीमारी के लोगों के दिल में जलन और सूजन पैदा कर रहा है प्रदूषण, हो जाएं अलर्ट

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Air Pollution is causing irritation and inflammation in the heart of people suffering from heart disease be alert | रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा, इस बीमारी के लोगों के दिल में जलन और सूजन पैदा कर रहा है प्रदूषण, हो जाएं अलर्ट



Air Pollution: वायु प्रदूषण यूं तो हर इंसान के लिए खतरनाक है लेकिन ये दिल के मरीजों को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. हाल ही में की गई एक रिसर्च में दावा गया है कि ऐसे मरीज जो दिल से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं वो पर्यावरण में होने वाले बदलावों के हिसाब से ढल नहीं पाते हैं.Air Pollution: राजधानी दिल्ली में इन दिनों वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है. हर साल की इस बार भी ठंड शुरू होते ही प्रदूषण अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर देता है. इस प्रदूषण के चलते लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है. कई तरह की एहतियात बरतने के निर्देश जारी किए जाते हैं. अब हाल ही में एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि दिल के मरीजों के लिए भी खराब हवा बहुत खतरनाक साबित हो सकती है. रिसर्च में दिल के मरीजों को खराब वायु गुणवत्ता के असर से बचने की हिदायत दी गई है.

शोधकर्ताओं ने 115 विभिन्न प्रोटीनों का विशेष रूप से अध्ययन किया है, जो शरीर में जलन और सूजन बढ़ाने के संकेत देते हैं. शिकागो में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के 2024 साइंटिफिक सेशन इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में पेश इंटरमाउंटेन हेल्थ रिसर्च के नतीजों से पता चला कि दो इंफ्लमेशन मार्कर – सीसीएल27 (सी-सी मोटिफ केमोकाइन लिगैंड 27) और आईएल-18 (इंटरल्यूकिन 18) हार्ट फेलियर के मरीजों में बढ़ा था. ये वो लोग थे जो खराब हवा के संपर्क में थे.

दिल में जलन-सूजन बढ़ जाती है

जबकि पिछली रिसर्च से पता चला है कि हार्ट फेल, कोरोनरी रोग, अस्थमा और सीओपीडी जैसी कुछ समस्याओं से जूझ रहे लोग वायु प्रदूषण की खराब स्थिति से संघर्ष कर रहे होते हैं तो, नई रिसर्च बताती है कि खराब वायु गुणवत्ता के दौरान इन रोगियों के दिल में जलन या सूजन का स्तर बढ़ जाता है.

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बदलाव में ढल नहीं पाता दिल के मरीज:

रिसर्च के प्रोफेसर और प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर बेंजामिन हॉर्न ने कहा,’ये बायोमार्कर उन लोगों में बढ़े मिले जो दिल की बीमारी से पीड़ित थे और जो दिल से संबंधित बीमारियों से पीड़ित नहीं थे उनमें ऐसा देखने को नहीं मिला. इससे साफ होता है कि ऐसे मरीज पर्यावरण में होने वाले बदलावों के हिसाब से ढल नहीं पाते हैं.’ रिसर्चर्स ने खास तौर पर 115 अलग-अलग प्रोटीनों के लिए ब्लड टेस्ट को देखा जो शरीर में जलन या सूजन बढ़ने के संकेत दे रहे हैं. 

ये स्पाइक्स या तो गर्मियों में जंगल की आग के धुएं के कारण या सर्दियों के मौसम में हुए परिवर्तन से होता है. इससे यह भी साफ होता है कि इस तरह के वायु प्रदूषण की घटनाओं से उन मरीजों के शरीर पर ज्यादा दबाव पड़ता है जिन्हें पहले से ही दिल की समस्या है.

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