इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना नदी एक अद्भुत नजारा पेश करती है. यह नदी अपने उद्गम से लेकर इटावा तक पहुंचने तक पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण, सभी दिशाओं में बहती हुई प्रतीत होती है. इस अनोखे प्रवाह के कारण ही इसे ‘चतुर्दिक वाहिनी’ कहा जाता है. इसे देखने आने वाले पर्यटक इसे प्रकृति और आस्था का चमत्कार मानते हैं.
चतुर्दिक वाहिनी यमुना के बीच बसे सुनवारा गांव में स्थित 500 साल पुराना भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर न केवल एक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह द्वापर युग से जुड़े पौराणिक महत्व को भी सहेजे हुए है. कहा जाता है कि इस पवित्र स्थल पर महर्षि शौनक और गोस्वामी तुलसीदास ने तपस्या की थी. यहां हर वर्ष जन्माष्टमी का उत्सव भव्य रूप से मनाया जाता है. इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां भगवान विष्णु की पूजा राधा रूप में की जाती है.
यमुना नदी का उद्गम और महत्वयमुना नदी का उद्गम उत्तराखंड के यमुनोत्री ग्लेशियर से होता है, जो समुद्र तल से 6,387 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह नदी हिमालय की चोटियों से निकलते हुए उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान से गुजरती है. यमुना की कुल लंबाई 1,376 किलोमीटर है, और यह उत्तर भारत की सबसे लंबी और महत्वपूर्ण नदियों में से एक है.
इटावा का सौभाग्यइटावा जिले के निवासियों के लिए यमुना का यह स्वरूप गर्व का विषय है. यहां नदी चारों दिशाओं में बहने के बाद अपने अगले पड़ाव के लिए बढ़ती है. यमुना नदी के किनारे स्थित घने जंगल और उसमें मौजूद साल, खैर और शीशम के पेड़ पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं.
यमुना और हाथियों का संबंधयमुना के पश्चिमी हिस्से को भारतीय हाथियों की सीमा कहा जाता है. यमुना के किनारे के जंगल हाथियों के लिए आदर्श गलियारे का काम करते हैं.
धार्मिक और पर्यावरणीय महत्वयमुना नदी न केवल एक धार्मिक धरोहर है बल्कि इसका सामाजिक और आर्थिक महत्व भी है. इटावा जिले में यमुना के किनारे बसे गांव और वहां की संस्कृति इस नदी के महत्व को और भी खास बनाते हैं.
यात्रा का आमंत्रणयदि आप प्रकृति, आस्था और इतिहास का संगम देखना चाहते हैं, तो इटावा के चतुर्दिक वाहिनी यमुना और सुनवारा के प्राचीन कृष्ण मंदिर की यात्रा जरूर करें. यह अनुभव आपको अद्भुत संतोष और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करेगा.
Tags: Local18, River YamunaFIRST PUBLISHED : November 17, 2024, 11:49 IST