Kidney and lung failure can occur due to liver damage know the surprising results of new research | लिवर डैमेज के कारण हो सकता है किडनी और फेफड़ों का फेलियर! जानें नई शोध के चौंकाने वाले नतीजे

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Kidney and lung failure can occur due to liver damage know the surprising results of new research | लिवर डैमेज के कारण हो सकता है किडनी और फेफड़ों का फेलियर! जानें नई शोध के चौंकाने वाले नतीजे



वैज्ञानिकों ने इम्यून सिस्टम में एक प्रोटीन की खोज की है, जिसका प्रयोग करके गंभीर लिवर चोट से पीड़ित मरीजों में मल्टी-ऑर्गन फेलियर को रोकने की संभावना बढ़ सकती है. शोधकर्ताओं ने बताया कि शरीर के एक हिस्से में हुए नुकसान से सेल्स की उम्र बढ़ जाती है और उनकी काम करने की क्षमता में गिरावट आती है, जो अन्य अंगों तक फैल सकती है.
बुढ़ापे के साथ होने वाली प्रक्रिया, जिसे ‘सेनेसेंस’ कहा जाता है, में सेल्स थक कर ठीक से काम करना बंद कर देती हैं. हालांकि, यह प्रक्रिया किसी भी उम्र में बीमारी के कारण भी हो सकती है. लिवर सेल्स में किसी गंभीर बीमारी के कारण सेनेसेंस का आना इस अंग को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे न केवल लिवर फेलियर होता है बल्कि मल्टी-ऑर्गन फेलियर की स्थिति भी बन जाती है.
चूहों पर हुआ अध्ययनयूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग, यूके के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने चूहों और गंभीर लिवर डिजीज से ग्रसित मानव लिवर के टिश्यू पर शोध किया. उन्होंने पाया कि जब लिवर सेल्स की एक बड़ी संख्या डैमेज हो जाती है, तो सेनेसेंस प्रक्रिया अन्य अंगों, जैसे कि किडनी और फेफड़ों में भी दिखने लगती है, जिससे मल्टी-ऑर्गन फेलियर का खतरा बढ़ जाता है और लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता बन सकती है.
टीजीएफबी प्रोटीनशोधकर्ताओं ने ‘टीजीएफबी’ नामक एक प्रोटीन की प्रक्रिया की पहचान की, जो इम्यून सिस्टम से जुड़ा है. इस प्रोटीन की गतिविधि को ब्लॉक करने से लिवर सेल्स के नुकसान के अन्य अंगों में फैलने को रोका जा सकता है. इस अध्ययन के लेखक और यूके के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के हेपेटोलॉजी के प्रोफेसर राजीव जलान ने कहा कि हमने इन नए और उत्साहजनक ऑब्जर्वेशन को मरीजों में प्रमाणित किया, जिससे खून में बायोमार्कर्स का विकास किया जा सकता है ताकि उन मरीजों की पहचान की जा सके जो ज्यादा खतरे में हैं और नई उपचार तरीके की खोज की जा सके.
एक्सपर्ट की क्या राय?शोधकर्ताओं का कहना है कि वर्तमान में यह अनुमान लगाने के लिए कोई टेस्ट उपलब्ध नहीं है कि लिवर फेलियर कैसे प्रगति करेगा, लेकिन लिवर सेल्स की निगरानी करके ऐसे मरीजों की पहचान की जा सकती है जिन्हें ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है. उन्होंने कहा कि हमने टीजीएफबी मार्ग की पहचान की है जो सेनेसेंस के अन्य अंगों में फैलने का एक महत्वपूर्ण मिडिएटर है और इसके ब्लॉकिंग से लिवर से प्रेरित किडनी समस्याओं को रोका जा सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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