धीर राजपूत/फिरोजाबाद: डीएपी खाद को लेकर किसान काफी परेशान हैं, सहकारी साधन समितियों पर डीएपी खाद की पूर्ति नहीं हो पा रही है. लेकिन जानकारी के अभाव में किसान खेतों में अधिक मात्रा में डीएपी खाद का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे खेतों में आगे चलकर उत्पादन कम होने की संभावना हो सकती है. खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए किसान इसका आवश्यकता से अधिक प्रयोग कर रहे हैं. डीएपी में पाए जाने वाले तत्व अधिक मात्रा में प्रयोग होने से स्वास्थ के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं. इसलिए किसान भाइयों को खेतों में डीएपी खाद का प्रयोग मिट्टी की जांच कराकर करना चाहिए.
डीएपी खाद का अधिक प्रयोग खेती के लिए है नुकसान दायक
फिरोजाबाद कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डॉ ओमकार सिंह ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि डीएपी खाद की किल्लत होने के कारण खेतों में इसका अधिक प्रयोग करना है. किसान भाई जानकारी के अभाव में एडीपी खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे खेतों में आगे चलकर उत्पादन में काफी नुकसान हो सकता है. अभी आलू की बुआई का सीजन चल रहा है, किसान खेतों में डीएपी का प्रयोग करने के लिए मांग कर रहे हैं. जहां खेतों में अच्छी पैदावार हो रही है, जिस मिट्टी को डीएपी की ज्यादा जरूरत नहीं है, वहां किसान भाई डबल इस्तेमाल कर रहे हैं. वही उन्होंने कहा कि डीएपी का इस्तेमाल खेत की पैदावार क्षमता को आगे चलकर कम कर सकती है. इसलिए किसान भाइयों को जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए. इससे खेत की मिट्टी न केवल उपजाऊ होगी, बल्कि इसमें लागत भी कम आएगी.
नाइट्रोजन और फॉस्फोरस से तैयार होती है डीएपी खाद
कृषि विभाग केंद्र प्रभारी ने बताया कि किसान भाइयों को डीएपी खाद का उपयोग करने से पहले खेतों की मिट्टी जांच करानी चाहिए. अगर उनके खेत की मिट्टी अधिक पैदावार के लिए तैयार नहीं है, तो इसमें उनको आवश्यकता के अनुसार डीएपी का प्रयोग करना चाहिए. डीएपी खाद में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस तत्व की मात्रा पाई जाती है. इसके विकल्प के रूप में एपीके का इस्तेमाल कर सकते हैं
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : November 14, 2024, 08:26 IST