Role of Early Detection in Improving Cancer Survival Rates: इस डिजीज का वक्त रहते पता लग जाने पर इलाज ज्यादा असरदार होता है और रिकवर होने की संभावना अधिक होती है. एचपीवी (HPV) से रिलेटेड कैंसर जैसे खास टाइप के कैंसर का अर्ली डिटेक्शन लाइफ सेविंग हो सकता है. ह्यूमन पेपिलोमावायरस (Human Papillomavirus) सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) का प्रमुख कारण है, जो लगभग 99% मामलों के लिए जिम्मेदार है, और पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करने वाले अन्य कैंसर से जुड़ा हुआ है.
भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में तीसरा सबसे ज्यादा फैलने वाला कैंसर बना हुआ है, जो 18.3% मामलों के लिए जिम्मेदार है, जिससे हर साल तकरीबन 342,000 ग्लोबल डेथ होती हैं. हालांकि इसके लंबे समय तक चलने वाले प्री-कैंसर चरण के कारण, एचपीवी से रिलेटेड कैंसर उन कुछ कैंसर में से एक है, जिन्हें वैक्सिनेशन और रूटीन स्क्रीनिंग के जरिए से रोका जा सकता है.
एचपीवी के लिए रूटीन स्क्रीनिंग की अहमियत
मशहूर ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. कीर्ति चड्ढा (Dr. Kirti Chadha), चीफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव ऑफिसर (मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर) के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के लक्षण अक्सर अपने शुरुआती स्टेज में नजर नहीं आते हैं, इसके बढ़ने पर इर्रेग्युलर ब्लीडिंग या बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट जैसी रूटीन स्क्रीनिंग, कैंसर में विकसित होने से पहले कैंसर से पहले के चेंजेज की पहचान करने के लिए जरूरी हैं.
स्क्रीनिंग गाइडलाइंस में 30 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को हर 5 साल में हाई रिस्क वाले एचपीवी परीक्षण या पैप-एचपीवी को टेस्टिंग से गुजरने की सलाह दी जाती है, जिससे सेल एब्नार्मेलिटी के लिए पैप स्मीयर एनालिसिस के साथ वायरस का पता लगाने में मदद मिलती है. ये कॉम्बिनेशन टेस्ट, या को-टेस्ट, अर्ली स्टेज एब्नार्मेलिटीज का पता लगाने में इफेक्टिव है, जिससे कैंसर के हमले से पहले वक्त पर इंटरवेंशन का मौका मिल जाता है.
कैंसर स्क्रीनिंग में हुई है तरक्की
टेक्नोलॉजी में तरक्की ने सर्वाइकल कैंसर के डाइग्नोसिस में काफी सुधार किया है. लिक्विड-बेस्ड साइटोलॉजी (LBC) और एचपी डीएनए टेस्टिंग (HPV DNA Testing) जैसे नए तरीके हाई सेंसिटिविटी और डाइग्नोस्टिक एक्यूरेसी देती हैं.
डॉ. कीर्ति चड्ढा ने कहा कि मिसाल के तौर पर, पिछले दशक हमारे अनुभव में, हमने LBC परीक्षण में एक लीनियर इंक्रीज देखा है और असामान्यता का पता लगाने में चार गुना इजाफा देखा है जो इन तरक्कियों के असर को दर्शाती है. DNA और mRNA एनालिसिस सहित मॉलिक्यूलर HPV टेस्ट में प्रिसाइज हाई रिस्क वाले वायरस स्ट्रेन का सटीक डिटेक्शन की इजाजत देते हैं, जिससे प्रिवेंशन की कोशिशें बढ़ा दी जाती हैं.
कैंसर को रोकने के उपाय
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने 2030 तक सर्वाइकल कैंसर को पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम के तौर पर खत्म करने के लिए एक महत्वाकांक्षी रणनीति बनाई है. इसमें 15 साल की उम्र तक लड़कियों के लिए 90% HPV वैक्सीन कवरेज, 35 और 45 वर्ष की आयु तक महिलाओं के लिए 70% स्क्रीनिंग और 90% प्री-कैंसरस और कैंसर के केसेज का ट्रीटमेंट करना शामिल है. इन लक्ष्यों को पूरा करने से दुनिया भर में HPV से संबंधित कैंसर की दरों में भारी कमी आ सकती है.
स्क्रीनिंग और वैक्सिनेशन में तरक्की के बावजूद, रेग्युलर टेस्ट करवाने में लोगों में इच्छा की कमी एक चुनौती बनी हुई है. पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन नियमित जांच और प्रिवेंटिव केयर के महत्व पर जोर देते हैं. हाल ही में ‘सेल्फ कलेक्शन किट’ के आने महिलाओं के बीच सक्रिय जांच की कमी की चुनौती को दूर करने में मदद कर सकता है.
टेस्ट में आसानी होने से अधिक महिलाओं को जांच करवाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिससे सेल्स के कैंसर में बदलने से पहले ही पता लगाया जा सकता है. HPV वैक्सिनेशन और नियमित जांच के साथ सक्रिय रहने के लिए व्यक्तियों को सशक्त बनाना एचपीवी से संबंधित कैंसर के मामलों को कम करने और महिलाओं के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)