इस कुंड से हुआ था राधा रानी का जन्म, मथुरा में यहां आज भी मौजूद है साक्ष्य

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इस कुंड से हुआ था राधा रानी का जन्म, मथुरा में यहां आज भी मौजूद है साक्ष्य

मथुरा: राधा रानी का नाम जहां आता है वहां बरसाने का नाम अपने आप ही जुड़ जाता है. राधा रानी को बरसाने वाली के नाम से जाना जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि उनका जन्म स्थान कहां है. अगर आपको नहीं पता है तो हम आपको बताते हैं कि राधा रानी कहां और कैसे जन्मी थीं. आइये जानते हैं राधा रानी के गांव का नाम.

यमुना में स्नान करने आती थी मां कीर्तिब्रज में राधा और कृष्ण का नाम एक साथ लिया जाता है. कृष्ण और राधा ने अनेकों लीलाऐं एक साथ की. उन लीलाओं की अलग-अलग पौराणिक मान्यता आपको देखने और सुनने को मिलेंगी. भगवान श्री कृष्ण मथुरा में जन्मे तो राधा रानी के जन्म को लेकर भी कई दावे किए गए. राधा रानी बरसाने के नाम से जानी जाती हैं लेकिन बहुत कम लोग उनका सही जन्म स्थान जानते हैं. हम आपको बताने जा रहे हैं उस स्थान के बारे में जिसे राधा रानी का असली जन्म स्थान कहा जाता है. यहां उनके जन्म स्थान पर हर दिन हजारों श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए आते हैं.

जिस कुंड और कमल पुष्प से राधा रानी का जन्म हुआ उसका साक्षी कमल कुंड आज भी बना हुआ है. इस कुंड का जीर्णोद्धार कर लोगों के लिए खोला गया ताकि लोग इस कमल कुंड के दर्शन कर राधा रानी के जन्म के बारे में जान सकें. इस कमल कुंड में आज भी हजारों कमल के फूल खड़े हुए हैं. यहां आने पर लोगों को द्वापर युग की अनुभूति होती है. यहां आने वाले हर व्यक्ति को आनंद की प्राप्ति होती है. हर कोई यहां आकर राधामय हो जाता है. राधा में होने के साथ-साथ वह अपनी भक्ति में राधा नाम जप कर अपनी सुधबुध खो बैठता है.

कमल पुष्प से पैदा हुई थी राधा रानीमान्यता के अनुसार यह कमल कुंड द्वापर कालीन है. मां कीर्ति इस कुंड में स्नान करने के लिए हर दिन आया करती थीं. कहा जाता है कि कुंड से यमुना जी बिल्कुल सटी हुई थी. यमुना का किनारा इसी कुंड से होकर गुजरता था. मां कीर्ति स्नान करने के बाद जैसे ही वापस लौटने लगी तो उनके हाथों से एक कमल का पुष्प टकरा गया. उन्होंने उस कमल पुष्प को अपने हाथों में लेकर देखा तो कमल पुष्प की पंखुड़ियां अपने आप खुल गईं. उस कमल पुष्प में एक सुंदर सी कन्या खिलखिला कर हंस उठी. कीर्ति मां को कोई संतान न होने के कारण उन्होंने उसे कन्या को अपनी संतान के रूप में स्वीकार कर लिया. आज भी मां कीर्ति की पुत्री के रूप में राधा रानी जानी जाती हैं.

रावल जाकर मिलती है मन को शांतिमथुरा से दर्शन करने गांव रावल पहुंचे कृष्णा चौहान नाम के युवक से जब Local18 की टीम ने बात की, तो उन्होंने बताया कि राधा रानी की जन्मस्थली गांव रावल है. यहां हर दिन श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. राधा रानी की जन्मस्थली के रूप में रावल गांव को जाना जाता है. मां कीर्ति यमुना में हर दिन स्नान के लिए आती थीं तो उन्हें कमल पुष्प से राधा रानी प्राप्त हुई. यहां आकर मन को शांति मिलती है. सभी चिंताएं यहां आने पर दूर हो जाती हैं. राधा रानी का यह पौराणिक कुंड आज भी राधा जन्म का साक्षी बना हुआ है. यमुना किनारे बना हुआ यह कुंड आज भी द्वापर की याद दिलाता है.
Tags: Local18, Mathura hindi news, Mathura newsFIRST PUBLISHED : November 4, 2024, 17:10 IST

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