बहराइच: शहर से कुछ दूर जंगलों में स्थापित यह माँ काली का मंदिर अपने अनूठे इतिहास और धार्मिक मान्यताओं के कारण श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. कहा जाता है कि एक स्थानीय व्यक्ति ने जन-धन की हानि से मुक्ति पाने की मन्नत पूरी होने पर इस मंदिर का निर्माण कराया. मंदिर में साल भर साधु-संत और तांत्रिक अपनी साधना सिद्धि के लिए आते हैं, खासकर नवरात्रि के समय यहां श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है.
मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है और इसे ‘महानंदा शक्तिपीठ’ के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि अंग्रेजों के जमाने में विशेष कार्य की पूर्ति के बाद इस मंदिर का निर्माण कराया गया, और धीरे-धीरे यह स्थान भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बन गया. लोग मानते हैं कि यहां पूजा अर्चना करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं, और मां महानंदा की कृपा से भक्तों के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं.
सपने में आया आदेश, जिससे हुई मां काली की स्थापनाबहराइच के एक निवासी को अपने परिवार में लगातार हो रही जन-धन की हानि से राहत की तलाश में कई प्रयासों के बाद यहां की जानकारी मिली. उन्होंने जंगल के बीच स्थित महानंदा शक्तिपीठ आकर मां से अरदास की कि परिवार में सुख-शांति बनी रहे. उसी रात, मां काली ने सपने में आकर निर्देश दिया कि वह इस स्थान पर उनकी प्रतिमा स्थापित करें. भक्त ने सपने के अनुसार, कुशल कारीगरों से मां काली की प्रतिमा स्थापित कराई, और जल्द ही उनके परिवार में सुख-शांति लौट आई.
तंत्र-मंत्र साधना का प्रमुख स्थलमहानंदा शक्तिपीठ में हर वर्ष नवरात्रि का भव्य मेला लगता है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान जैसे मुंडन आदि संपन्न कराने आते हैं. इसके अलावा अन्य दिनों में यहां तांत्रिक और साधु-संत मां काली की पूजा कर अपनी तंत्र विद्या को सिद्ध करने आते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से यहां माँ काली से वरदान मांगता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है.
Tags: Hindu Temple, Local18FIRST PUBLISHED : October 31, 2024, 13:48 ISTDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.