What is Stroke: स्ट्रोक एक ऐसी बीमारी है जो ब्रेन को ब्लड सप्लाई करने वाली आर्टरीज को नुकसान पहुंचाती है. स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क को पोषक तत्व और ऑक्सीजन ले जाने वाले ब्लड वेसेल्स या तो फट जाते है या क्लॉटिंग से ब्लॉक हो जाते हैं. स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है, इसको लेकर हमने फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल दिल्ली में कार्यरत डॉ. नितिन कुमार राय (Dr. Nitin Kumar Rai) से बात की.
स्ट्रोक के लक्षण
1. बोलने में परेशानी, यानी जो बोलना है वो नहीं बोल पाने हैं मरीज. इसके अलावा दूसरों की बातों को समझने में भी परेशानी होती है.
2. शरीर के एक हिस्से, चेहरे, हाथों और पैरों में कमजोरी.
3. एक या दोनों आंखों में देखने में परेशनी. इसमें डुअल विजन, फील्ड ऑफ विजन में दिक्कत और धुंधला दिखना शामिल है
4. कॉन्शियसनेस में चेंजज, चक्कर आना, उल्टी आने के साथ अचानक और बहुत ज्यादा सिरदर्द स्ट्रोक से जुड़ा हो सकता है.
5. बैलेंस और कॉर्डिनेशन की कमजोरी न्यूमोनिक के साथ स्ट्रोक के लक्षण को जाहिर कर सकती है.
इस फॉर्मुला को याद रखें
BEFAST (बीईएफएएसटी)
B=Balancing problem (बैलेंसिग प्रॉब्लम)E=Eye Problem (आखों में परेशानीF=Facial Weakness (चेहरे में कमजोरी)A=Arm weakness (बाहों में कमजोरी)S=Speech Problem (बोलने में दिक्कत)T=Time of onset (ऑनसेट का वक्त)
अगर BEFAST वाले लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए
स्ट्रोक के रिस्क फैकटर
1. ओल्ड एज2. फैमिली हिस्ट्री ऑफ स्ट्रोक3. एट्रियल फिब्रिलेशन4. तंबाकू का सेवन5. एक्सरसाइज की कमी6. बैड कोलेस्ट्रॉल7. हाई ब्लड प्रेशर8. डायबिटीज9. शराब पीना10. लंबे वक्त तक टेंशन झेलना
स्ट्रोक से बचने के उपाय
1. तम्बाकू और शराब से तौबा करें. दवा और जीवनशैली में बदलाव करके अपने ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को कट्रोल करें.2. टेंशन से बचें, नियमित योग करें, व्यायाम करें, रोजाना30 मिनट तेज चलें, फाइबर रिच हेल्दी डाइट लें, ऑयली और प्रोसेस्ड फूड्स से बचें.3. अगर आपकी हार्ट बीट इर्रेगुलर हैं तो इसको कंट्रोल करने लिए डॉक्टर से दवा लें.4. जिन मरीजों की स्ट्रोक हिस्ट्री है, उन्हें फ्यूचर में अटैक रोकने के लिए ब्लड थिनर दवाइयां लेनी चाहिए.
स्ट्रोक का इलाज
स्ट्रोक के मरीज को 4.5 घंटे के भीतर ‘गोल्डन ऑवर’ में इमरजेंसी रूम में लाना चाहिए. यहां थक्के को घोलने के लिए थ्रोम्बोलिसिस द्वारा मैनेज किया जाना चाहिए. साथ ही अगर बड़ा बल्ड वेसेल ब्लॉक है, तो थ्रोम्बेक्टोमी नामक कैथेटर-आधारित तकनीक द्वारा थक्के को निकाला जा सकता है.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)