फर्रुखाबाद: यूपी में फर्रुखाबाद के किसान पहले के मुकाबले काफी जागरूक हो गए हैं. किसान खेती में नए-नए प्रयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. अब किसान पारंपरिक खेती के अलावा नगदी फसलों पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं. जिसके कारण कमाई के रास्ते भी खुल गए हैं. ऐसे समय पर यहां के किसान अब इस खेती के जरिए मोटी कमाई भी कर रहे हैं.
फर्रुखाबाद के किसान अब अपने खेतों में मिश्रित फसलें उगा रहे हैं, जिससे उनको अच्छी खासी कमाई हो रही है. जहां किसानों की प्रति बीघा 5 हजार रुपए लागत आती है. वहीं, मिश्रित खेती करने वाले किसान बताते हैं कि वह लगातार कई दशकों से यह फसल करते आ रहे हैं. इससे उन्हें कभी भी नुकसान नहीं बल्कि लाखों रुपए का फायदा ही हुआ है.
सब्जियों की खेती करने वाले किसान ने बताया
कमालगंज के मिर्जा नगला गांव निवासी किसान नरेश चंद्र बताते हैं कि वह बचपन से ही मिश्रित खेती करते आ रहे हैं, जिससे उन्हें तगड़ी कमाई होती है. वहीं, किसानों का यहां तक कहना है कि इस फसल से उन्हें आज तक नुकसान नहीं हुआ. बल्कि सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्ति से अधिक मुनाफा हो जाता है. किसान ने बताया कि आम तौर पर प्रति बीघा 4 से 5 हजार रुपए की लागत आती है. वहीं, एक बार फसल तैयार होने के बाद पहले सब्जियों की बिक्री करते हैं. इसके बाद निकलने वाली फसल की अच्छी खासी बिक्री होती है.
हरी सब्जियों की है बाजार में तगड़ी डिमांड
किसान ने बताया कि जब दस वर्षों से लगातार खेती करती आ रही है. वही जिस प्रकार उनके पर खेती के लिए थोड़ी सी ही भूमि है. ऐसे समय पर वह उसी भूमि में मिश्रित खेती करती हैं. जिससे उन्हें पर एक बीघा में पचास से साठ हजार रूपए का मुनाफा हो जाता है. वही मूली की फसल को उगाने में लगभग दो हजार रुपए की लागत आ रही है. लेकिन एक बार जब खेत से फसल निकलना शुरू होती हैं तो फिर मंडी में डिमांड बढ़ जाती हैं. ऐसे समय पर उनकी बैगन मंडी में हाथों हाथ ही बिक्री हो रही है.
मिश्रित खेती का तरीका
किसान बताते हैं कि वह अपने खेतों में सबसे पहले मूली के पौधों की रोपाई करते हैं. इसके बाद उसमें शलजम और चुकंदर के बीजों को बो देते हैं. इसके बाद की क्यारियों के ऊपर धनिया की बुवाई करते हैं. समय अवधि के बाद जब मूली की फसल तैयार होती है, तो नीचे से अन्य फसले भी तैयार होने लगती है. ऐसे समय पर एक समय पर ही 5 फसल से यह हजारों रुपए की कमाई करते हैं.
क्या है खेती का तरीका
किसान ने बताया कि वह सबसे पहले खेत को अच्छे से समतल करते हैं. इसमें क्यारियां बनाकर पहले से तैयार की गई पौधों को प्रति एक मीटर पर 2 पौधों को रोप देते हैं. समय से इसमें सिंचाई करते हैं. इसके बाद जब पौधे बड़े होने लगते हैं, तो इनको मूली निकलने लगती हैं. जिसे मंडी में बिक्री कर देते हैं. इसके बाद जब पौधों से पूरी फसल निकल जाती हैं, तो इसके पौधे को खेत में ही हरी खाद के रूप के प्रयोग कर लेते हैं.
Tags: Agriculture, Farrukhabad news, Local18FIRST PUBLISHED : October 28, 2024, 11:30 IST