आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपनी सेहत का ख्याल रखना भूल जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं में किडनी रोग एक गंभीर समस्या बनती जा रही है? पिछले 30 सालों में क्रॉनिक किडनी डिजीज के मामले तीन गुना बढ़ गए हैं. यह दावा एक ताजा अध्ययन में किया गया है.
गुजरात अडानी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (GAIMS) के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक नई रिसर्च में सामने आया है कि पिछले तीन दशकों में महिलाओं में क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) के मामलों में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है. यह शोध अमेरिका के सैन डिएगो में आयोजित ‘ASN किडनी वीक 2024’ में पब्लिश किया गया है.
शोध के मुताबिक, महिलाओं में क्रॉनिक किडनी डिजीज के कारण होने वाली मृत्यु दर के पीछे मुख्य कारण टाइप 2 डायबिटीज और हाईपरटेंशन हैं. इस रिसर्च को GAIMS के स्वतंत्र क्लिनिकल और पब्लिक हेल्थ रिसर्चर हर्दिक दिनेशभाई देसाई ने प्रस्तुत किया. देसाई ने कहा कि इस स्थिति को कंट्रोल करने के लिए तुरंत पॉलिसी हस्तक्षेप, टारगेट प्रीवेंशन प्रोग्राम और हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की आवश्यकता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां क्रॉनिक किडनी डिजीज का खतरा ज्यादा है.
अध्ययन की प्रमुख बातेंGAIMS द्वारा किया गया यह अध्ययन ‘ग्लोबल, नेशनल और रीजनल ट्रेंड्स इन द बर्डन ऑफ क्रॉनिक किडनी डिजीज अमंग वीमेन फ्रॉम 1990-2021: ए कॉम्प्रिहेन्सिव ग्लोबल एनालिसिस’ पर आधारित है. यह अध्ययन ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ 2021 पर आधारित है, जिसमें 204 देशों और क्षेत्रों से आंकड़े शामिल किए गए हैं.
रिपोर्ट में क्या?रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से 2021 के बीच महिलाओं में क्रॉनिक किडनी डिजीज का वार्षिक औसत प्रतिशत 2.10% की दर से बढ़ा, जबकि मृत्यु दर में 3.39% और डिसेबिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर्स (DALYs) में 2.48% की वृद्धि हुई है. लैटिन अमेरिका, उत्तरी अमेरिका और वृद्ध महिलाओं में क्रॉनिक किडनी डिजीज से संबंधित मृत्यु दर और रोग भार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.
आगे की चुनौती क्या?आगे की चुनौतियां और समाधान शोध में पाया गया कि 2000 से 2010 के बीच मामूली गिरावट के बाद, पिछले दशक में क्रॉनिक किडनी डिजीज से संबंधित मृत्यु दर में एक चिंताजनक वृद्धि हुई है, जो कि मेटाबोलिक रिस्क फैक्टर के कारण है. देसाई ने कहा कि बीमारी का जल्दी पता लगाना, हेल्दी लाइफस्टाइल और डायबिटीज व हाईपरटेंशन जैसी बीमारियों का मैनेजमेंट बहुत आवश्यक है. यदि तुंरत कदम नहीं उठाए गए तो क्रॉनिक किडनी डिजीज का बढ़ता प्रकोप हेल्थ सिस्टम पर भारी पड़ेगा और मृत्यु व बीमारी दर में वृद्धि का कारण बनेगा.