Ghazipur: उत्तर प्रदेश का करमपुर गांव को हॉकी की दुनिया में खास आदर के साथ देखा जाता है. वजह ये कि इस गांव ने हाल के वर्षों में कई ओलंपिक और स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी तैयार किए हैं. यह गांव चार दशकों से अधिक समय से निरंतर मेहनत और अनुशासन के साथ हॉकी के उभरते खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहा है. हाल ही में हुए हॉकी इंडियन लीग में इस गांव के छह खिलाड़ियों का चयन हुआ. इसमें ललित उपाध्याय को 28 लाख और राजकुमार पाल को 40 लाख रुपये में खरीदा गया. करमपुर के खिलाड़ियों की इस सफलता का श्रेय कोच इंद्रदेव सिंह के कठोर अनुशासन और समर्पण को जाता है, जिन्होंने इस गांव को हॉकी का गढ़ बना दिया है.
कोच इंद्रदेव सिंह की 40 साल की मेहनतकोच इंद्रदेव सिंह बताते हैं कि करमपुर गांव में हॉकी की यह परंपरा पिछले 40 वर्षों से चली आ रही है. यहां के बच्चे दिन में दो बार हॉकी की कड़ी प्रैक्टिस करते हैं और गांव में अनुशासन का स्तर ऊंचा है. इसी अनुशासन और मेहनत के बलबूते पर करमपुर के खिलाड़ी देश और दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं. इस परंपरा की शुरुआत तेज बहादुर सिंह के नेतृत्व में हुई, जब उन्होंने गांव में हॉकी टूर्नामेंट का आयोजन किया. इस प्रयास को आगे बढ़ाने में पूर्व सांसद राधे मोहन सिंह का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
करमपुर के चमकते सितारेकोच इंद्रदेव सिंह बताते हैं कि करमपुर से पहला बड़ा नाम संजय सिंह यादव का उभरकर सामने आया, जो इस कैंप के पहले खिलाड़ी थे. इसके बाद अजीत पांडे ने अपने प्रदर्शन से गुड मॉर्निंग टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतकर गांव का नाम रोशन किया. बाद में राजकुमार पाल और ललित उपाध्याय जैसे दिग्गज खिलाड़ी भी इसी गांव से निकले, जिन्होंने ओलंपिक में देश का मान बढ़ाया. खासतौर से 2020 और 2024 के ओलंपिक में भारत के लिए हॉकी में पदक जीतना इस गांव के लिए एक गर्व का विषय है.
हॉकी का अनुशासन और संघर्षकोच मानते हैं कि बिना अनुशासन के कोई भी खिलाड़ी ऊंचाई तक नहीं पहुंच सकता. करमपुर के खिलाड़ियों की सफलता का मुख्य कारण वही अनुशासन है, जो सुबह-शाम की कठोर प्रैक्टिस से संजोया गया है. इस गांव के हर घर से एक बच्चा हॉकी खेलता है और यहां के कई युवक सरकारी नौकरियों में भी हैं. गांव के लोग मानते हैं कि करमपुर की धरती पर हॉकी खेलने का जुनून हर घर में है और यही जुनून गांव के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रहा है.
करमपुर गांव की कहानी केवल खिलाड़ियों की उपलब्धियों की नहीं है, बल्कि अनुशासन, मेहनत, और सामूहिक संघर्ष की कहानी है. यह गांव भारत को न केवल ओलंपियन दे रहा है, बल्कि हॉकी में एक नई पहचान भी बना रहा है. आने वाले वर्षों में करमपुर से और भी कई खिलाड़ी देश का नाम रोशन करेंगे.
Tags: Ghazipur news, Local18, News18 uttar pradeshFIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 10:22 IST