uterine fibroids symptoms| uterine fibroids symptoms treatment and prevention| bachhedani main ganth ka ilaj | वर्किंग फीमेल्स में अधिक बच्चेदानी में गांठ बनने का खतरा, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

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uterine fibroids symptoms| uterine fibroids symptoms treatment and prevention| bachhedani main ganth ka ilaj | वर्किंग फीमेल्स में अधिक बच्चेदानी में गांठ बनने का खतरा, जानें लक्षण और बचाव के उपाय



आज की महिलाएं सिर्फ घर की जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि देश के इकोनॉमिक ग्रोथ में भी अपनी भागीदारी साबित कर रही है. ऐसे में वह इतनी व्यस्त रहती हैं कि इस कारण वह अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पाती हैं. जिसके कारण उन्हें हार्मोनल चेंजेस के कारण होने परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें फाइब्रॉएड भी शामिल है. 
बच्चेदानी में बनने वाला ये गांठ हर साल कई महिलाओं को प्रभावित करता है. हालांकि यह कैंसर नहीं बनता है, लेकिन इससे मां बनने की संभावनाएं जरूर प्रभावित होती है. फाइब्रॉएड से पीड़ित 20-40% से अधिक महिलाओं को इसका पता भी नहीं चलता, जबकि लक्षणों का अनुभव करने वाली लगभग 30% महिलाएं अक्सर उपलब्ध उपचारों से अनजान होती हैं. ऐसे में इससे बचाव के उपायों को जानना बहुत जरूरी है. 
फाइब्रॉएड के लक्षण पहचानना जरूरी
गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षणों को पहचानना इसके उपचार और शुरुआती स्टेज पर कंट्रोल करने के लिए जरूरी है. यदि आप हैवी पीरियड्स, लंबे समय तक पीरियड रहना, पेल्विक दर्द और बार-बार पेशाब आना आने जैसे लक्षणों का सामना कर रही हैं तो यह बच्चेदानी में गांठ का संकेत हो सकता है. 
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वर्किंग फीमेल्स में फाइब्रॉएड होने की वजह
कामकाजी महिलाएं अक्सर तनाव में रहती हैं, जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है. इससे कई बार फाइब्रॉएड के विकास को बढ़ावा मिलता है. इसके अलावा अनहेल्दी फूड्स, शराब का सेवन, फिजिकल एक्टिविटी में कमी भी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं. 
फाइब्रॉएड से बचाव के उपाय
– फल, सब्जियां, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा का सेवन करें. फाइबर युक्त आहार गांठ के विकास को कम करता है.
– रोजाना व्यायाम करें, यह न केवल वजन कंट्रोल करने में मदद करता है, बल्कि हार्मोनल संतुलन भी बनाए रखता है.
– योग, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग अपनाएं, ये तनाव को कम करने में मदद कर सकती हैं.
– नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराते रहें. इससे फाइब्रॉएड  का समय पर पता लगाया जा सकता है.
– नींद की कमी भी हार्मोन्स पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. ऐसे में रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 
 



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