हरियाणा की हार ने कैसे कांग्रेस को बेचारा बना दिया, अखिलेश यादव ने सूद समेत वसूला हिसाब

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हरियाणा की हार ने कैसे कांग्रेस को बेचारा बना दिया, अखिलेश यादव ने सूद समेत वसूला हिसाब

नई दिल्ली. वक्त कब किसका साथ छोड़ दे और कब किसकी किस्मत बदल दे, इसका ताजा उदाहरण अखिलेश यादव हैं. जिस अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी को कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव में एक भी सीट देना मुनासिब नहीं समझा, उसी पार्टी के सिंबल पर कांग्रेस अब यूपी में अपना उम्मीदवार उतारेगी. हरियाणा हारते ही देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी का सिंबल यूपी से गायब हो गया. अखिलेश यादव ने कांग्रेस को उसकी असली औकात दिखा दी. अखिलेश यादव ने भी बड़ी चलाकी से कांग्रेस से हरियाणा का हिसाब-किताब सूद सहित यूपी में वूसल लिया.

यूपी में इंडिया गंठबधन के बीच सीट शेयरिंग के नए फॉर्मूले को अखिलेश यादव भले ही गठबंधन की ताकत बता रहे हैं. लेकिन, असल में एक राष्ट्रीय पार्टी की इससे बड़ी दुर्गति हो नहीं सकती. इंडिया गठबंधन कह रही है कि यूपी को लेकर यह बड़ा फैसला हुआ है. अखिलेश यादव एक्स पर राहुल गांधी के साथ एक फोटो पोस्ट करते हुए लिखते हैं. ‘हमने ये ठाना है ‘संविधान, आरक्षण, सौहार्द’ बचाना है ‘बापू-बाबासाहेब-लोहिया’ के सपनों का देश बनाना है.’

अखिलेश के सामने चित हो गए राहुल?हालांकि, अखिलेश यादव ने बुधवार को भी जब एक्स पर एक पोस्ट किया तो उसी समय समझ में आ गया था कि अखिलेश यादव यूपी की 9 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारने जा रहे हैं. पिछले कई दिनों से इंडिया गठबंधन में यूपी को लेकर बात बन नहीं पा रही थी. जिन-जिन सीटों पर कांग्रेस दावा ठोक रही थी, उन सीटों को सपा किसी भी कीमत पर कांग्रेस को देने के लिए तैयार नहीं थी. बीते 10-12 दिनों से दोनों में इस बात को लेकर तकरार चल रहा था. आखिर में अखिलेश यादव ने पोस्ट कर इस बारे में अंतिम फैसला ले लिया. जाहिर है जब दोनों में बात नहीं बन रही होगी तो कांग्रेस ने गठबंधन को बचाए रखने के लिए यह फॉर्मूला स्वीकार कर लिया.

हरियाणा चुनाव के बाद बदल गया माहौलऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह रही होगी कि एक राष्ट्रीय पार्टी यूपी में एक भी सीट पर अपना प्रत्याशी अपने सिंबल पर उतार नहीं पाई? इंडिया गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल के निशान पर ही क्यों चुनाव लड़ेंगे? क्या कांग्रेस को हार का डर सता रहा था या फिर समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत के लिए इंडिया गठबंधन एकजुट होकर कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी हो गई?

क्या यूपी में इंडिया गठबंधन ने किया नया प्रयोग?कहा ये जा रहा है कि इस उपचुनाव के जरिए इंडिया गठबंधन यूपी में एक नया अध्याय अध्याय लिखने जा रही है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बंटोगे तो कटोगे के नारे का इंडिया गठबंधन ने एकजुटता दिखा कर ये जवाब दिया है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस के इस फैसले के बाद यूपी में PDA का एक भी वोट न घटने पाए, एक भी वोट न बंटने पाए नारे का यह उपचुनाव होगा.

कांग्रेस और एसपी का यह फैसला कितना सही है कितना गलत ये तो चुनाव के नतीजे के बाद ही पता चलेगा. लेकिन, कांग्रेस मैनेजमेंट ने शायद सोचा होगा कि यूपी में जिन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं वहां समाजवादी पार्टी का ठीकठाक जनाधार है. दूसरा, अगर कांग्रेस की इन सीटों पर हार होती तो शायद 2027 के यूपी चुनाव में इंडिया गठबंधन में उस तरह से डील नहीं कर पाती. इसलिए, अखिलेश यादव की जीत होगी तो तो भी कांग्रेस इसमें अपना योगदान कहेगी और अगर समाजवादी पार्टी की हार होती है तो कांग्रेस उस हार का ठिकरा अखिलेश के सिर मढ़ कर साल 2027 के चुनाव में मोलभाव करने की स्थिति में आ जाएगी.
Tags: Akhilesh yadav, Assembly bypoll, Congress leader Rahul Gandhi, UP newsFIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 16:45 IST

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