पीसीओडी/पीसीओएस कई महिलाओं को प्रभावित करने वाली स्वास्थ्य संबंधी एक आम समस्या बनी हुई है. महिलाओं में पीसीओडी की समस्याएं हार्मोनल इंबैलेंस और इर्रगुलर पीरियड्स के कारण होता है, जिसकी वजह से कुछ महिलाओं के लिए नेचुरल तरीके से कंसीव करना मुश्किल हो जाता है.
प्राइम आईवीएफ में हेड ऑफ फर्टिलिटी डॉ. निशी सिंह बताती हैं कि पीसीओडी/पीसीओएस से परेशान महिलाओं के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट एक मददगार ट्रीटमेंट साबित होता है. हालांकि, इन समस्याओं से पीड़ित महिलाओं को आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता दर से संबंधित कई मिथक होती हैं, तो आइए जानते है आईवीएफ से जुड़ी मिथक और तथ्य के बारे में जो जानना हर महीला के लिए बेहद जरूरी है.
पहला मिथक: आईवीएफ ट्रीटमेंट पीसीओडी/पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए फायदेमंद नहीं हैपहली मिथक पीसीओएस/पीसीओडी की समस्या सेजुड़ी महिलाएं को नैचुरल तरीके से गर्भधारण करना चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन आईवीएफ ट्रीटमेंट अनेकों महिलाओं के लिए एक प्रभावशाली उपचार का साधन बना हुआ है. वास्तव में, पीसीओएस से ग्रस्त कई महिलाओं की ओवुलेशन रेट बढ़ जाती है, जो आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान फायदेमंद साबित हो सकते हैं. अगर डॉक्टर ट्रीटमेंट के समय सही निगरानी और प्रबंधन करता है, तो आईवीएफ ट्रीटमेंट की प्रक्रिया से गुजरने वाले पीसीओएस/पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं की सफलता दर भी हेल्दी महिलाओं के समान हो सकती है.
दूसरा मिथ: पीसीओएस/पीसीओडी से पीड़ित हर महिला को आईवीएफ ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती हैदूसरी मिथ पीसीओएस/पीसीओडी से पीड़ित सभी महिलाओं को गर्भवती होने के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है. कुछ महिलाएं अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके गर्भधारण कर सकती हैं, जैसे अपने लाइफस्टाइल में हेल्दी डाइट एक्सरसाइज और अपने पीरियड्स साइकिल को रेगुलर करने और ओव्यूलेशन में सुधार करने पर ध्यान से सकती है या फिर फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स, जैसे ओव्यूलेशन इंडक्शन, जिसमें ओवम को निकालने में मदद के लिए दवाओं का उपयोग कर सकती है. इसके अलावा IUI (Intrauterine Insemination) भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है. आईवीएफ ट्रीटमेंट का सुझाव सिर्फ तभी दिया जाता है, जब आईयूआई भी असफल हो. अगर किसी और तरह की प्रॉब्लम सामने आती हैं, जैसे फैलोपियन ट्यूब का ब्लॉक होना या पुरुष संबंधी समस्या सामने आए.
तीसरा मिथ: आईवीएफ ट्रीटमेंट सफल नहीं होता है अगर पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं का वजन ज्यादा होता हैंतीसरा मिथ यह है कि ज्यादा वजन होने के कारण आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता की संभावना कम हो सकती है, अगर महिलाएं अपने बॉडी वेट को बैलेंस करे तो आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान महिलाओं को दिक्कतों का सामने नहीं करना पड़ेगा. पीसीओएस से पीड़ित वो महिलाएं जो वजन संबंधी समस्याओं से जूझ रही हैं, उनके लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट की शुरुआत करने से पहले अपने वजन को कंट्रोल करने के लिए सबसे पहले हेल्दी लाइफस्टाइल और अपनी डायटिशियन की सलाह लेना फायदेमंद साबित हो सकता है.
पीसीओएस/पीसीओडी से पीड़ित कई महिलाओं के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट एक सहायक विकल्प है, लेकिन इसकी सफलता निजी देखभाल, उपचार और हेल्दी लाइफस्टाइल के चुनाव पर निर्भर करती है. इसके अलावा, किसी फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से सलाह लेना महत्वपूर्ण है, जो पीसीओएस/पीसीओडी के बारे में जानता हो ताकि महिलाओं को अच्छा उपचार मिल सके. वास्तविक तथ्यों को समझने से महिलाओं को सही निर्णय लेने और परिवार बनाने की दिशा में कदम उठाने में मदद मिल सकती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.