Inspiring Story: बलिया के एक प्रोफेसर की कहानी की कमाल है.मां का साया उठ गया था. पर मां के सपने के लिए उन्होंने दिन रात मेहनत की. इसी का परिणाम है कि आज वो श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया में हिंदी विभाग के प्रोफेसर हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में.
परिवार के हालात नहीं थे ठीकप्रोफेसर डॉ. जैनेंद्र कुमार पांडेय ने कहा, ‘वो बलिया शहर से लगभग 28 KM दूर रघुनाथपुर गांव के रहने वाले हैं. घर का मुख्य व्यवसाय खेती और किसानी ही था. पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था भी उस समय बहुत कम हुआ करती थी. संयुक्त परिवार होने के कारण जैनेंद्र के पिताजी पर काफी बोझ था.’
ऐसे शुरू हुई पढ़ाई परिवार की स्थिति सही नहीं होने के कारण गांव के प्राथमिक विद्यालय से ही पढ़ाई शुरू हुई. हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए गांव से कुछ दूर साइकिल से आना जाना हुआ. इसके बाद अपने रिश्तेदार के पास रहकर सोनभद्र से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की. आखिर में उन्होंने BHU से ग्रेजुएशन की.
जेएनयू से भी की पढ़ाई ग्रेजुएशन करने के बाद जैनेंद्र को दिल्ली पढ़ाई करने की इच्छा हुई. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा के दौरान सफलता भी मिल गई. फिर उन्होंने MA के साथ M.FIL (Master of Philosophy) की पढ़ाई भी संपन्न कर ली.
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जब हुआ मां का देहांत पढ़ाई के दौरान ही जैनेंद्र की माता जी का देहांत हो गया. जैनेंद्र बताते हैं कि उनकी मां को कैंसर हो गया था. उस समय इलाज का भी बहुत ज्यादा प्रबंध नहीं था. जैनेंद्र के मां को भी अनुभव हो चुका था कि अब वह ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह पाएंगी. मां बार-बार जैनेंद्र को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित कर रही थीं. इसी बीच उनकी मौत हो गई और जैनेंद्र ने इस बड़े आघात को सहन करते हुए एमफिल की पढ़ाई के दौरान ही सरकार के द्वारा निकली भर्ती पर अपनी किस्मत आजमाई.
Tags: Ballia news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : October 21, 2024, 14:29 IST