बस्ती: जनपद में इस युवक की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है, जिसने साबित किया कि कठिनाइयां अस्थायी होती हैं, लेकिन मेहनत और संघर्ष का फल हमेशा मीठा होता है. यह कहानी है भीम की, जो 10 साल की उम्र में ही आर्थिक तंगी और गरीबी से जूझते हुए एक नई दिशा में बढ़ा.भीम, जनपद बस्ती के एक छोटे से गांव पैकोलिया का रहने वाला है. उन्होंने बताया कि 2007 में उनके बाबा जी के पैरालाइज होने के कारण उनके पिता जी को घर आना पड़ा. इस स्थिति ने परिवार की वित्तीय स्थिति को और खराब कर दिया. सभी जमा पूंजी बाबा जी की दवा में खर्च हो गई और घर में एक भी पैसा नहीं बचा. इस कठिनाई के समय में, भीम के परिवार को नमक रोटी खाने पर मजबूर होना पड़ा.
₹30 रोजाना पर होटल में कामभीम ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए 2008 में गांव के एक होटल में ₹30 प्रतिदिन पर काम करना शुरू किया. हालांकि, होटल का मालिक हमेशा उसकी पूरी मजदूरी नहीं देता था. वह रोज़ सुबह से शाम तक मेहनत करता, लेकिन उसकी मेहनत का फल उसे सही से नहीं मिलता.
निर्णायक मोड़भीम ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि एक दिन, जब उनकी मां सब्जी खरीदने आईं और उन्होंने भीम से ₹30 मांगे, तो भीम ने अपने मालिक से पैसे मांगे. मालिक ने मना कर दिया और कहा कि वह रोज़ पैसे मांगने आती हैं. यह सुनकर भीम को बहुत दुःख हुआ. उसकी आंखों में आंसू थे, और उसे एहसास हुआ कि उसे इस कठिनाई से बाहर निकलना होगा. उसी समय, उसने लखनऊ जाने का निर्णय लिया. लखनऊ जाकर भीम ने सहारा हॉस्पिटल के कैंटीन में काम किया, जहां उसे ₹3600 प्रति महीने की तनख्वाह मिलने लगी. यह उसकी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण मोड़ था. इस काम ने उसे आत्म-विश्वास और नई दिशा दी.
सफलता की ओर कदम2016 में जब भीम अपने गांव वापस आया, तो उसने ठेला लगाने का निर्णय लिया. उसने फास्ट फूड का ठेला शुरू किया, और पहले ही दिन उसने ₹1260 की कमाई की. यह उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी. भीम ने लगातार मेहनत की और अब वह रोज़ाना ₹8000 से ₹10000 कमा रहा है. उसकी मेहनत ने उसे केवल आर्थिक रूप से मजबूत नहीं बनाया, बल्कि उसे समाज में एक उदाहरण भी बना दिया.
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गौरतलब है कि भीम की सफलता की कहानी यह सिद्ध करती है कि अगर हिम्मत और मेहनत की जाए, तो कोई भी सपना साकार हो सकता है. आज भीम न केवल अपने परिवार का सहारा है, बल्कि वह समाज में भी एक प्रेरणा का स्रोत बन गया है. उसकी मेहनत और दृढ़ता ने उसे एक सफल व्यवसायी बना दिया, और आज वह अपने गाँव के युवाओं के लिए प्रेरणा का प्रतीक है.
Tags: Basti news, Local18, Special Project, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : October 20, 2024, 23:14 IST